फ्यूचर समूह के संस्थापक किशोर बियाणी की होम रिटेलिंग कारोबार से बाहर होने की कोई योजना नहीं है। इस मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। अपनी खुदरा परिसंपत्तियों की बिक्री रिलायंस को करने के बाद बियाणी के पास यह एकमात्र खुदरा कारोबार बचा है।
एक सूत्र ने कहा, ‘इसे बेचने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। होम रिटेलिंग बियाणी के स्वामित्व वाली एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर अपना परिचालन जारी रखेगी।’ होम रिटेलिंग श्रेणी में फ्यूचर के फर्नीचर एवं फर्निशिंग कारोबार को प्रैक्सिस होम रिटेल के तहत रखा गया है। इसकी स्थापना वित्त वर्ष 2018 में उस दौरान की गई थी जब समूह ने फ्यूचर रिटेल से इस कारोबार को अलग किया था। होम रिटेलिंग श्रेणी में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों कारोबार को प्रैक्सिस के तहत रखा गया है जिसमें होमटाउन स्टोर और फैबफर्निश का ऑनलाइन अधिग्रहण भी शामिल है। समूह ने पूरी तरह एक नकद सौदे के तहत कैलेंडर वर्ष 2016 में फबफर्निश का अधिग्रहण किया था।
बाद में फैबफर्निश को होमटाउन के ई-प्लेटफॉर्म में शामिल कर दिया गया था ताकि ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ब्रांड को एक ही छत के तले लाया जा सके। कंपनी की इस पहल को होम रिटेलिंग में एक बड़े ओमनीचैनल के तहत ई-कॉमर्स और ऑफलाइन कारोबार को एकीकृत करने के रूप में भी देखा गया था।
कारोबार को अलग किए जाने के एक साल बाद वित्त वर्ष 2019 में प्रैक्सिस का राजस्व 80 फीसदी बढ़कर 684 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था। जबकि वित्त वर्ष 2020 में उसके राजस्व में महज 2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। पेपरफ्राई, लाइवस्पेस और होमलेन जैसी ऑनलाइन कंपनियों से लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनी के प्रदर्शन को झटका लगा।
टेक्नोपार्क के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंकुर बिसेन ने कहा कि विशेष तौर पर मिलेनियल्स उपभोक्ता और कामकाजी लोग कारपेंटर पर निर्भर रहने अथवा आसपास की दुकानों पर जाने के बजाय फर्नीचर की ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हालांकि होम रिटेलिंग में ऑनलाइन और ऑफलाइन का मेल काफी अधिक है क्योंकि इस कारोबार में वस्तुओं को छूकर परखने की जरूरत होती है।’
पूरी तरह ऑनलाइन मार्केटप्लेस के तौर पर 2012 में शुरू होने वाली पेपरफ्राई ने महसूस किया कि ग्राहकों को पूर्ण ऑनलाइन अथवा पूर्ण ऑफलाइन के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। इसलिए उसने करीब 60 स्टूडियो को लॉन्च किया जो आज कंपनी के कुल राजस्व में करीब 20 फीसदी का योगदान करते हैं।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण ऑनलाइन कंपनियों को रफ्तार मिली क्योंकि स्टोरों में ग्राहकों की आवक काफी घट गई थी। उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद घरों अथवा दफ्तरों के लिए फर्नीचर की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि दिख रही है।
पेपरफ्राई के कारोबार प्रमुख एवं मुख्य विपणन अधिकारी कश्यप वाडापल्ली ने कहा कि कंपनी की ऑफिस फर्नीचर श्रेणी में, खास तौर पर स्टडी टेबल और घुमावदार कुर्सियों की मांग में जून 2020 तिमाही के दौरान लॉकडाउन पूर्व के स्तर के मुकाबले क्रमश: 185 फीसदी और 175 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
रेडसीर के मुताबिक भारत में फर्नीचर के बाजार का आकार 17 अरब डॉलर यानी करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है जबकि शेष हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की है।