सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के कर्मचारियों का हाल आजकल कंगाली में आटा गीला वाला हो गया है।
दरअसल बी रामलिंग राजू के खुलासे के बाद उनकी नौकरी और वेतन पर तो तलवार लटक ही चुकी थी, अब बैंकों ने भी उनसे बेवफाई शुरू कर दी है।
सत्यम के कर्मचारियों को अब बैंक पर्सनल लोन देने से कतरा रहे हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां तो उन पर और भी सितम ढा रहे हैं। इन कर्मचारियों के क्रेडिट कार्ड की लिमिट में तकरीबन 80 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है।
दरअसल सत्यम में नकदी का जबरदस्त टोटा होने की खबर फैलते ही बैंकों के भी काम खड़े हो गए हैं। अजित (नाम बदला हुआ) को ही लीजिए।
कंपनी के हैदराबाद कार्यालय में काम करने वाले अजित निजी बैंक से लिए हुए अपने कर्ज को मासिक किस्त कम कराने के लिए कैनरा बैंक में स्थानांतरित करवाने वाले थे।
सरकारी क्षेत्र का बैंक कैनरा बैंक पहले तो इसके लिए राजी हो गया, लेकिन बाद में उसने चुप्पी साध ली। अजित ने कई बार बैंक में बात करने की कोशिश की, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला, ‘फिलहाल आपकी दरख्वास्त रोक ली गई है।’
अजित का घर आधा बन गया है, लेकिन उन्हें चौराहे पर आना पड़ रहा है। वह कहते हैं, ‘जब तक हम सत्यम में रहेंगे, तब तक कोई भी बैंक हमें कर्ज नहीं देगा।’
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के निदेशक हर्ष वर्द्धन मानते हैं कि सत्यम में संकट होने की वजह से कर्ज लेने वालों से वसूली करना मुश्किल हो गया है।
वह कहते हैं, ‘दरअसल कर्ज तो कर्मचारी की वापस करने की क्षमता को देखकर दिए जाते हैं। लेकिन कर्मचारियों की नौकरी पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।’
उन्होंने बताया कि इसी वजह से बैंक आजकल सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों के ऋण संबंधी आवेदनों पर विचार करने में ज्यादा वक्त ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस फेहरिस्त में केवल सत्यम के कर्मचारी ही नहीं हैं।
एक निजी बैंक के अधिकारी ने बताया कि सत्यम घटनाक्रम के बाद कर्ज देने के बारे में उनके बैंक में एक बैठक हुई थी। उन्होंने बताया, ‘हालांकि अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन मैं इतना तो कह ही सकता हूं कि अब सभी के लिए कर्ज के नियम ज्यादा कड़े हो जाएंगे।’
सत्यम के एक कर्मचारी ने बताया, ‘मेरे बैंक से एक ईमेल आया, जिसमें लिखा था कि मेरी क्रेडिट कार्ड लिमिट 70 फीसदी कम कर दी गई है। इसका मतलब है कि बैंकों को भी अब हम पर भरोसा नहीं रहा।’
सत्यम में वेतन नहीं मिलने की खबरें कर्मचारियों को और भी परेशान कर रही हैं। एक कर्मचारी ऋषि का कहना है, ‘मुझे दो कंपनियों ने बुलाया है। अब मुझे फैसला करना है कि इस हफ्ते मैं किस कंपनी में काम शुरू करूंगा।’
ऋषि ने कंपनी तभी छोड़ दी थी, जब उन्हें पता चला था कि स्वतंत्र निदेशक इस्तीफे दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं बच गया। अगर मेरी नौकरी चली जाती है, तो मैं ईएमआई नहीं दे पाऊंगा। अगर दो महीने की ईएमआई नहीं जाती है, तो मेरे सर पर 1 लाख रुपया बकाया हो जाएगा।’
लेकिन असली मुश्किल तो उन घरों में हुई है, जहां पति-पत्नी दोनों सत्यम में ही काम करते हैं। उन्हें तो अब सहारा देने वाला भी कोई नहीं है।
सत्यम के हैदराबाद कार्यालय में काम करने वाले ऐसी ही एक दंपती का कहना था, ‘हमें उम्मीद है कि हममें से कम से कम एक तो वक्त रहते दूसरी नौकरी मिल जाएगी। हमने अच्छी जगहों पर काम कर रहे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से कह दिया है कि हमारे लिए नौकरियां तलाशना शुरू कर दें।’