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रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की AGM से रोक हटी

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने AGM पर लगी रोक हटाते हुए जनहित याचिका का निपटारा किया। बर्मन परिवार को प्रबंधन का नियंत्रण मिलने और प्रमुख मुद्दों पर निर्णय की राह खुली।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- January 09, 2025 | 11:05 PM IST

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (आरईएल) की सालाना आम बैठक (एजीएम) पर लगी रोक हटा दी है। इसी के साथ न्यायालय ने इससे जुड़ी जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है। यह सालाना आम बैठक पहले 31 दिसंबर को होनी थी। अदालत ने कहा कि याची कंपनी में शेयरधारक नहीं है।

अधिवक्ता विजयंत मिश्र की जनहित याचिका में बर्मन परिवार के अधिग्रहण की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग की मांग की गई थी जिसके बाद उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर, 2024 को एक आदेश जारी कर एजीएम पर रोक लगा दी थी।

अदालत के निर्णय से डाबर प्रवर्तकों की खुली पेशकश के लिए राह आसान हो गई है क्योंकि उन्हें वित्तीय नियामकों से संबंधित मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। खुली पेशकश सफल होने से प्रबंधन का नियंत्रण बर्मन परिवार को मिलने की राह खुल जाएगी।

इसके अलावा एजीएम पर रोक हटने के बाद निदेशक के रूप में रश्मि सलूजा की पुनर्नियुक्ति जैसे प्रमुख मुद्दों पर अब विचार किया जा सकता है। गुरुवार को रेलिगेयर के शेयर में 4 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई और यह 294 रुपये पर बंद हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कंपनी दिल्ली में है जबकि याचिका मध्य प्रदेश में दायर की गई है।

उन्होंने कहा कि याची आरईएल में शेयरधारक नहीं है। मेहता ने कहा कि इंट्रा-शेयरहोल्डर विवाद के मामले में जनहित याचिका विचारणीय नहीं है और प्रभावित पक्षों ने कंपनी कानून के तहत उपाय अपनाए हैं।

इस बीच, आरईएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी और सलूजा के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मामले में जवाब के लिए और समय मांगा था। मामले का निपटारा करते हुए पीठ ने याची को मामले के लिए उचित मंच पर जाने की अनुमति दी। आरईएल ने इससे पहले अपनी एजीएम को सितंबर 2024 से तीन महीने के लिए दिसंबर 2024 तक के लिए टाल दिया था। इस स्थगन की प्रॉक्सी सलाहकार फर्मों और कॉरपोरेट प्रशासन विशेषज्ञों ने आलोचना की थी।

First Published : January 9, 2025 | 11:05 PM IST