हैदराबाद स्थित अरविंदो फार्मा की इकाई यूगिया ने एक ग्राहक द्वारा शीशी के अंदर सफेद कण तैरते दिखने की शिकायत किए जाने के बाद मेथोकार्बमोल इंजेक्शन का एक लॉट वापस मंगाया है।
कंपनी द्वारा 22 मार्च को भेजे पत्र के अनुसार, जो दवा वापस मंगाई जा रही है, वह नवंबर 2025 की एक्सपायरी वाले लॉट नंबर 3एमसी23011 से जुड़ी हुई है। इस लॉट में 1,000 मिलीग्राम/10-मिलीमीटर की सिंगल-डोज शीशियां शामिल थीं और इसकी आपूर्ति जनवरी में पूरे अमेरिका में की गई थी।
यूगिया ने पत्र में कहा है, ‘ऐसे इंजेक्टेबल उत्पाद (जिसमें पार्टिकुलेट मैटर होता है) से जलन या सूजन हो सकती है। यदि ये कण रक्त वाहिकाओं तक पहुंच जाता है या इंट्रावास्कुलर रूप से इंजेक्ट किया जाता है तो यह विभिन्न अंगों में जा सकता है और हृदय, फेफड़े या मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर सकता है जिससे स्ट्रोक हो सकता है और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।’
हालांकि कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यूगिया यूएस एलएलसी को इस दवा वापसी के संबंध में किसी विपरीत प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। मेथोकार्बमोल इंजेक्शन का इस्तेमाल तीव्र, दर्दनाक मस्कुलोस्केलेटल स्थितियों से जुड़ी परेशानी से राहत के लिए किया जाता है।
यूगिया हाल में अपने संयंत्रों पर निरीक्षण के बाद एफडीए की सख्ती के दायरे में आई है। इसे मार्च में यूएस एफडीए द्वारा फॉर्म 483 जारी किया गया था, जिसमें तेलंगाना में उसकी इंजेक्टिबल इकाई में सात निर्माण संबंधित समस्याओं का जिक्र किया गया। कंपनी का न्यूजर्सी संयंत्र भी दिसंबर में यूएसएफडीए की जांच के दायरे में आ गया था। हालांकि फरवरी में इम्पावर फार्मेसी ने कहा कि उसने अज्ञात रकम में न्यूजर्सी संयंत्र खरीदने की योजना बनाई है।
मार्च में सन फार्मा ने कंपनी की निर्माण संयंत्र में माइक्रोबियल कंटामिनेशन संबंधित रिपोर्ट के बाद फेबक्सोस्टेट टैबलेट की 55,000 से अधिक शीशियों को वापस मंगाया। दिसंबर में मुंबई की कंपनी ने अमेरिका में लियोथाईरोनाइन सोडियम टैबलेट की 96,192 शीशियों को वापस मंगाया था, जिनका इस्तेमाल थायरॉयड उपचार में किया जाना था। इन दवाओं को दवा निर्माता के दादरा स्थित संयंत्र में तैयार किया गया था। इसकी प्रतिस्पर्धी ल्यूपिन ने भी दिसंबर में अमेरिका में पेनिसिलैमाइन टैबलेट को वापस मंगाया था।