हिंदुस्तान जिंक में पूरा हिस्सा बेचने को मंजूरी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:43 PM IST

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में सरकाार की शेष 29.5 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री को मंजूरी दे दी है। केंद्र निजीकरण के अपने कुछ प्रस्तावों में अड़चन पैदा होने होने के बाद अपना विनिवेश तेज करने के बारे में विचार कर रहा है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के शेयर की बुधवार को बाजार बंद कीमत के हिसाब से सरकार को कंपनी में अपनी पूरी 29.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने से करीब 38,062 करोड़ रुपये मिलेंगे। एक अधिकारी ने कहा कि सरकार अपने शेयर ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये कई किस्तों में भी बेच सकती है और इसका खाका निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) तैयार करेगा।
सरकार ने 2002 में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी वेदांत की स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को बेची थी। उस समय समूह ने हिंदुस्तान जिंक में एक ओपन ऑफर के जरिये 20 फीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहीत की थी। अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली इस दिग्गज कंपनी ने वर्ष 2003 में 19 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीद ली। वर्ष 2009 में कंपनी ने शेयरधारक खरीद समझौते के हिसाब से कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल किया था। इसे केंद्र ने चुनौती दी, जिससे वेदांत ने दावे के निपटान के लिए मध्यस्थता का इस्तेमाल किया।    
अब यह दिग्गज कंपनी केंद्र के खिलाफ मध्यस्थता की प्रक्रिया को वापस ले रही है जिससे सरकार के लिए कंपनी में अपने 1.24 अरब शेयर बेचने का रास्ता साफ हो गया है।
इस समय हिंदुस्तान जिंक में वेदांत की 64.9 फीसदी हिस्सेदारी है। वेदांत लिमिटेड के अनिल अग्रवाल ने कथित रूप से कहा है कि कंपनी पेशकश किए जा रहे शेयरों की कीमत पर विचार करने के बाद केंद्र की केवल 5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकती है।
पिछले साल नवंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में अपनी शेष हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी थी। अदालत ने हवाला दिया था कि अब यह कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (पीएसयू) नहीं रह गई है। केंद्र ने अपने हलफनामे में पहले कहा था कि शेष 29.54 फीसदी हिस्सेदारी खुले बाजार में बेची जाएगी।
हालांकि कंपनी में शेष हिस्सेदारी पर सवाल नहीं उठाया गया। लेकिन शीर्ष अदालत ने उस शुरुआती सौदे की जांच का केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया, जिसके तहत केंद्र ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी और इसके नतीजतन निजीकरण हुआ था। इस हिस्सेदारी बिक्री से केंद्र को वित्त वर्ष 2022-23 में अपने विनिवेश लक्ष्य 65,000 करोड़ रुपये के नजदीक पहुंचने में मदद मिलेगी। सरकार के सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स (सीईएल) और पवन हंस (पीएचएल) के निजीकरण के लगभग पूरे हो चुके सौदों में अड़चन पैदा हो गई है क्योंकि उनके विजेता बोलीदाताओं के खिलाफ कानूनी मामले लंबित हैं। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) का बड़ा निजीकरण पटरी से उतर गया है क्योंकि इसके लिए केवल एक बोलीदाता ही दौड़ में शामिल है। अब सरकार इस तेल पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी बेचने की नई रणनीति बना रही है।
केंद्र चालू वित्त वर्ष में अब तक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के ऑफर फॉर सेल के जरिये विनिवेश प्रक्रिया से 23,575 करोड़ रुपये जुटा चुका है।

First Published : May 26, 2022 | 12:24 AM IST