फ्यूचर रिटेल ने बंबई स्टॉक एक्सचेंज और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज से कहा है कि वह रिलायंस समूह की तरफ से उसकी खुदरा परिसंपत्तियों का विलय व अधिग्रहण करने वाले आवेदन को प्रोसेस करे। स्टॉक एक्सचेंजों को रविवार को भेजा गया बयान तब आया है जब एमेजॉन ने बाजार नियामक सेबी और एक्सचेंजों को पिछले हफ्ते पत्र लिखकर सिंगापुर आर्बिट्रेशन के अंतरिम आदेश को ध्यान में रखते हुए फ्यूचर समूह व रिलायंस समूह के बीच होने वाले 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर रोक लगाने की मांग की है।
एक बयान में फ्यूचर रिटेल ने एक्सचेंज से कहा है कि वह एमेजॉन के पत्र या आर्बिट्रेशन के आदेश पर ध्यान न दे। फ्यूचर रिटेल का तर्क है कि एमेजॉन ने फ्यूचर प्रवर्तक निकाय व उसके बीच हुए 2019 के करार के तहत गैर-प्रतिस्पर्धी उपबंद के उल्लंघन की बात कही है, जो सही नहीं है। इस करार ने एमेजॉन को फ्यूचर रिटेल में अप्रत्यक्ष तौर पर 5 फीसदी हिस्सेदारी दे दी थी।
कंपनी ने कहा, एमेजॉन व फ्यूचर कूपंस व फ्यूचर रिटेल व उसके प्रवर्तकों के बीच हुए दो अलग-अलग करार को एक सौदा माना गया और इसकेजरिए एमेजॉन को फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी मिल गई और जब ये करार लागू हुए तो एमेजॉन के हक में फ्यूचर रिटेल के नियंत्रण में बदलाव हुए थे, जिसके बाद उसे सेबी के नियम के तहत फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी के लिए खुली पेशकश लानी चाहिए थी। लेकिन ऐसी खुली पेशकश नहींं लाई गई, इसलिए एमेजॉन का इरादा दो करार को एक एकीकृत सौदा मानने का कोई इरादा नहीं है। फ्यूचर रिटेल ने भी पाया कि एमेजॉन का दावा आनुबंधिक विवाद है और एमेजॉन पहले ही इस पर आर्बिट्रेशन अदालत का दरवाजा खटखटा चुका है और अपने हित के साथ 1,431 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी है।
कहा गया है कि सेबी के नियम के तहत सेबी व एक्सचेंजों को उसके गुण के आधार पर स्वतंत्र रूप से स्कीम ऑफ अरेंजमेंट पर विचार करना चाहिए। फ्यूचर समूह के प्रवर्तकों व एमेजॉन के बीच आनुबंधिक विवाद सेबी व एक्सचेंज की अथॉरिटी को उसकी योजनाओं को मंजूरी देने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाता।
