केंद्र सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से उत्साह में आई दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी ऐपल इंक का भारत से आईफोन निर्यात इस साल अप्रैल से दिसंबर के दौरान 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। देश में तीन कंपनियां- फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन ठेके पर ऐपल के लिए आईफोन बना रही हैं और इसका निर्यात दूसरे देशों में किया जा रहा है।
कंपनी को यह उपलब्धि 9 महीने से भी कम समय में हासिल होने जा रही है। ऐपल इंक अप्रैल से नवंबर के बीच 17,500 करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन निर्यात कर भी चुकी है। नवंबर में इस अमेरिकी कंपनी को चीन में उत्पादन के मोर्चे पर चोट खानी पड़ी थी। वहां कोविड-19 की वजह से लगाई गई बंदिशों और श्रमिक विरोध के कारण आईफोन का उत्पादन सुस्त पड़ गया था। मगर भारत से आईफोन 14 और दूसरे मॉडलों का निर्यात एक महीने में ही 50 करोड़ डॉलर (4,250 करोड़ रुपये) के पार पहुंच गया।
16 महीने पहले पीएलआई योजना लागू की गई थी और ठेके पर आईफोन बनाने वाली तीनों कंपनियों ने सबसे तेजी से निर्यात का लक्ष्य हासिल किया है। हालांकि ऐपल इंक के प्रवक्ता ने देश से निर्यात के बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया।
वित्त वर्ष 2022 में समूचे मोबाइल उपकरण उद्योग ने 5.8 अरब डॉलर (47,800 करोड़ रुपये) मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात किया था। इसमें 11,000 करोड़ रुपये का योगदान केवल आईफोन के निर्यात यानी ऐपल इंक का था।
ऐपल इंक द्वारा निर्यात को बढ़ावा दिया जाना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आईसीईए ने चालू वित्त वर्ष में देश से 75,000 करोड़ रुपये मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात होने का अनुमान लगाया है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगर वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में भी ऐपल इंक के निर्यात की यही रफ्तार रही तो कंपनी की देश से होने वाले कुल मोबाइल निर्यात में 45 से 50 फीसदी हिस्सेदारी हो सकती है। पीएलआई योजना के तहत इसका लक्ष्य पांच साल में निर्यात में 60 फीसदी का योगदान देना है।
केंद्र सरकार द्वारा 2020 में पीएलआई योजना लागू की गई और कोरोना महामारी के कारण उसे एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। इसे देखते हुए ऐपल ने अपना कुछ उत्पादन चीन से हटाकर भारत लाने का फैसला किया था। सरकार को सौंपे गए आंकड़ों के आधार पर ऐपल के वैश्विक एफओबी मूल्य में भारत की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष में कम से कम 3.2 फीसदी होनी चाहिए।
इसके साथ ही यह वित्त वर्ष 2026 में करीब 10 फीसदी तक पहुंच सकती है। लेकिन यह आंकड़ा दोगुना हो सकता है क्योंकि ठेके पर आईफोन बनाने वाली उसकी कंपनियों के पास इससे दोगुने उत्पादन की क्षमता है। अगर अन्य पात्र कंपनियां उत्पादन नहीं बढ़ाती हैं तो वे योजना के तहत लक्षित मूल्य का दोगुना उत्पादन कर सकती हैं।
ऐपल ने इस साल सितंबर में तमिलनाडु के होन हाई संयंत्र से अपना नवीनतम आईफोन 14 मॉडल बाजार में उतारा था। दिलचस्प है कि आईफोन 14 को वैश्विक बाजार में उतारने के महज 10 दिन के अंदर इसे भारत में भी उतार दिया गया।
आईफोन की बिक्री पर नजर रखने वाले सूत्रों का कहना है कि आईफोन 14 और अन्य मॉडलों का निर्यात यूरोपीय देशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। ऐपल के लिए ठेके पर आईफोन बनाने वाली कंपनियां आईफोन 11, 12, 13 और आईफोन 14 बना रही हैं।
पीएलआई योजना के तहत प्रत्येक कंपनी को पांच साल के दौरान हर साल आधार वर्ष से तय न्यूनतम सीमा में उत्पादन बढ़ाना होता है। इसके तहत पहले साल में 4,000 करोड़ रुपये, दूसरे साल में 8,000 करोड़ रुपये, तीसरे में 15,000 करोड़ रुपये, चौथे साल में 20,000 करोड़ रुपये और पांचवें साल में 25,000 करोड़ रुपये मूल्य का उत्पादन बढ़ाना है।