Adani Group US investigation
अदाणी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियां ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के आयात में शामिल रही हैं या नहीं, इसको लेकर अमेरिकी अधिकारी जांच कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या अदाणी ग्रुप की कंपनियों ने मुंद्रा पोर्ट (Mundra port) के जरिए ईरान से लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG) का आयात भारत में किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ टैंकर जो नियमित रूप से मुंद्रा और पर्शियन गल्फ के बीच आवाजाही कर रहे थे, उन्होंने ऐसी गतिविधियां दिखाई हैं जो आमतौर पर उन जहाजों द्वारा की जाती हैं जो प्रतिबंधों (sanctions) से बचने की कोशिश करते हैं।
इससे पहले भी अमेरिकी अभियोजकों ने अदाणी ग्रुप के अधिकारियों पर घूसखोरी में शामिल होने का आरोप लगाया था। अधिकारियों का दावा था कि अदाणी और उनके साथ सात अन्य व्यक्तियों, जिनमें उनके भतीजे सागर अदाणी भी शामिल हैं, ने भारतीय अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर (करीब ₹2,200 करोड़) की घूस देने पर सहमति जताई थी।
यह कथित रूप से ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए किया गया था, जिनसे अगले 20 वर्षों में करीब 2 अरब डॉलर (लगभग ₹16,600 करोड़) का मुनाफा होने की उम्मीद थी, और भारत की सबसे बड़ी सोलर पावर परियोजना के निर्माण को आसान बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
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इसके अलावा, अभियोजकों ने यह भी आरोप लगाया कि अदाणी परिवार और अदाणी ग्रीन एनर्जी के पूर्व सीईओ वनीत जैन ने 3 अरब डॉलर से ज्यादा के लोन और बॉन्ड हासिल किए, जबकि उन्होंने यह भ्रष्टाचार ऋणदाताओं और निवेशकों से छिपाया।
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यह घूसखोरी विवाद अदाणी ग्रुप की मार्केट और पब्लिक डिस्क्लोजर की प्रक्रियाओं को लेकर भी सवाल खड़े करता है। अभियोजकों का आरोप है कि कंपनी ने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी जांच को लेकर अपनी जानकारी के संबंध में भ्रामक बयान जारी किए थे।