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बासमती चावल से निर्यात शुल्क हटाने की गुजारिश

Last Updated- December 08, 2022 | 3:41 AM IST

चावल निर्यातकों ने सरकार से अपील की है कि बासमती निर्यात पर 8 हजार रुपये प्रति टन के शुल्क को खत्म कर दिया जाए।


निर्यातकों के मुताबिक, शुल्क लगने से भारतीय बासमती चावल और महंगा हो गया है, जिससे खरीदारों ने पाकिस्तान का रुख कर लिया है। इनकी अपील है कि बासमती निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य को और लचीला बनाया जाए। इनकी यह मांग भी है कि निर्यात संवर्द्धक एजेंसी एपीडा प्याज की तरह बासमती चावल के निर्यात की भी मासिक समीक्षा करे।

गौरतलब है कि एपीडा प्याज निर्यात की मासिक समीक्षा करता है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष गुरनाम अरोड़ा का कहना है कि जहां अन्य उद्योगों को निर्यात सुविधाएं दी जा रही हैं तो फिर बासमती चावल निर्यात को कोई प्रोत्साहन क्यों नहीं दिया जा रहा। उल्टे इस पर निर्यात शुल्क थोप दिया गया।

अरोड़ा ने बताया कि भारतीय निर्यात के महंगे होने का सीधा फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है। अरोड़ा के मुताबिक, ऊंचे न्यूनतम निर्यात मूल्य और निर्यात शुल्क के चलते वैश्विक बाजार में भारतीय बासमती चावल की कीमत 1,400 से 1,600 डॉलर प्रति टन पड़ रही है, जबकि पाकिस्तानी निर्यातक 1,000 डॉलर प्रति टन के हिसाब से ही बासमती चावल बेच रहे हैं। ऐसे में तय है कि भारतीय निर्यात बुरी तरह बर्बाद हो जाएगा।

अरोड़ा के मुताबिक, पाकिस्तान में जोरदार फसल के चलते इस साल इसकी गुणवत्ता भी भारत की बासमती से बेहतर है। वैसे इस बार देश में बासमती चावल का उत्पादन पिछले साल जितना ही होगा, लेकिन बेमौसम बरसात के कारण गुणवत्ता थोड़ी प्रभावित हुई है।

बताया जा रहा है कि नवंबर में अब तक कोई यूरोपीय खरीददार नहीं आया है। अरोड़ा कहते हैं कि हमारे ग्राहकों ने पाकिस्तान का रुख कर लिया है। इसलिए हमने सरकार से अपील की है कि वह निर्यात पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करे।

साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य को लचीला बनाया जाए और एपीडा इसके निर्यात की समय-समय पर समीक्षा करे। मालूम हो कि पिछले सीजन में देश से करीब 12 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि पाकिस्तान ने 7-8 लाख टन का निर्यात किया।

First Published - November 17, 2008 | 3:15 AM IST

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