कीटनाशकों के उचित प्रयोग से बढ़ सकती है उपज

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:07 PM IST

केयर रेटिंग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक कीटनाशकों के समुचित प्रयोग से उत्पादकता में सुधार आ सकता है। इससे भारत की एक अरब आबादी को खाद्य सुरक्षा मिलने में मदद मिलेगी।
देश में हर साल कीटों के हमले के चलते करीब 18 प्रतिशत फसल का नुकसान होता है। स्पष्ट रूप से इससे हर साल करीब 90000 करोड़ रुपये की फसल को नुकसान हो जाता है।
कुल 40,000 कीटों की पहचान की गई है, जिनमें से करीब 1,000 कीट ऐसे हैं जो पौधों के लिए बेहतर होते हैं, 5,00 कीट ऐसे हैं, जो फसलों को कभी कभी भयंकर नुकसान पहुंचाते हैं और 70 तो ऐसे हैं जो फसलों के लिए बहुत ही खतरनाक हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फसलों के नुकसान को देखते हुए कीटनाशकों का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसका इस्तेमाल फसल तैयार होने के पहले और बाद की, दोनो ही स्थितियों में जरूरी है।
भारत में कीटनाशकों की खपत अभी भी बहुत कम, करीब 40,0000 लाख टन प्रतिवर्ष है। इसके अनेक कारण हैं। ग्रामीण भारत में बेहतर गुणवत्ता वाले कीटनाशक उपलब्ध नहीं होते, जिसकी वजह से खरीफ की फसल के दौरान (जुलाई से नवंबर) के बीच यह प्रमुख समस्या बन जाती है। इस मौसम में कीटनाशकों का 70 प्रतिशत प्रयोग होता है।
कीटनाशकों का प्रति हेक्टेयर खपत भी बहुत कम है। यह भारत में करीब 381 ग्राम प्रति हेक्टेयर आता है, जबकि विश्व की कुल खपत का औसत 500 ग्राम है। इस उद्योग में पिछले 5 साल से (घरेलू और निर्यात) संयुक्त वार्षिक वृध्दि दर (सीएजीआर) 11.86 प्रतिशत रही है। लेकिन यह दर निर्यात के चलते आई है।
कीटनाशकों की कम खपत की प्रमुख वजह यह है कि यहां पर मानसून पर निर्भरता ज्यादा है, सिंचाई का स्तर कम है। इसके साथ ही किसानों में कीटनाशकों को लेकर जागरूकता की कमी और बिखरी हुई किसानों की जमीन भी प्रमुख वजह है। कुल 1400 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि के 25 प्रतिशत हिस्से में ही फसलों को बचाने के लिए कदम उठाए जाते हैं। कीटनाशकों के प्रयोग से फसलों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
कीटनाशकों के उत्पादन में एशिया में भारत का दूसरा और विश्व में 12 वां स्थान है। भारत में 2006-07 के दौरान 85,0000 लाख टन कीटनाशकों का उत्पादन हुआ, जिसकी कुल कीमत 74 अरब रुपये है। इसमें से 29 अरब रुपये के कीटनाशकों का निर्यात किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कीटनाशकों के सही उपयोग से ढेरों फायदे हैं। यह फसलों को कीटों, बीमारियों और खर-पतवार से बचाता है। इससे किसानों को आर्थिक फायदा भी मिलता है और अगर एक रुपये कीटनाशक पर खर्च किया जाता है तो उससे 3 से 5 रुपये का फायदा होता है।
बहरहाल इस रिपोर्ट में इस बात की भी चेतावनी दी गई है कि भारतीय खाद्य में कीटनाशकों का अवशेष 20 प्रतिशत तक है जबकि वैश्विक स्तर पर यह 2 प्रतिशत तक होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत में केवल 49 प्रतिशत खाद्य उत्पाद ऐसे हैं जिनमें कीटनाशकों के अवशेष नहीं मिलते, जबकि वैश्विक औसत 80 प्रतिशत है।
कम कीटनाशकों के प्रयोग के बावजूद ऐसी स्थिति इसलिए है कि भारत में कीटनाशकों के प्रयोग के तरीके और मात्रा के बारे में समुचित जागरूकता नहीं है। अगर खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष अधिकतम अवशेष स्तर से नीचे रहे, तो इससे कोई नुकसान नहीं होता। साथ ही अगर ज्यादा मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए तो इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। और बाद में ज्यादा कीटनाशकों के प्रयोग की जरूरत पड़ती है।

First Published : March 6, 2009 | 1:32 PM IST