मलयेशिया के पामऑयल के बाजार में लगातार दूसरे दिन मजबूती का रुख रहा। माना जा रहा है कि चीन व भारत से नई मांग निकलने के कारण यह तेजी आई है।
चीन व भारत इन दिनों अपने देशों में बढ़ती महंगाई पर काबू के लिए वनस्पति तेलों की आपूर्ति में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। इसी कारण मलेशिया के बाजार में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में पामऑयल की मांग में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी। स्वतंत्र सर्वेयर इंटरटेक के मुताबिक मार्च के पहले 25 दिनों के दौरान बीते साल की समान अवधि के मुकाबले मलेशिया के पामऑयल के निर्यात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
वनस्पति तेलों का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश भारत इन दिनों खाद्य तेलों की अधिकतम आपूर्ति करने के लिए गत सप्ताह वनस्पति पर लगने वाले आयात शुल्क में भी कटौती की है। भारत इन दिनों अपने देश की बढ़ती महंगाई को कम करने की कोशिश में लगा है। वनस्पति तेल के जानकार ने सिंगापुर से बताया कि अगर चीन भी अपने देश में अतिरिक्त छूट देने की घोषणा करता है तो चीन से भी निकलने वाली मांग में वृध्दि हो जाएगी।
जून के लिए पामऑयल के वायदा व्यापार में 117 रिंगगिट की मजबूती आई है।मलयेशिया के डेरिवियेटिव्स एक्सचेंज के मुताबिक कारोबार शुरू होने से पहले प्रतिटन 3448 रिंगटोन के स्तर पर था जो बाजार बंदी के समय 3,457 रिंगगिट के स्तर पर पहुंच गया। मार्च के पहले 25 दिनों के दौरान 11 लाख टन पाऑयल का व्यापार किया गया। सर्वेयर के मुताबिक फरवरी महीने की समान अवधि के दौरान यह व्यापार 913,062 टन का हुआ था।
रिपोर्ट के मुताबिक पामऑयल के भाव को इस कारण से भी मजबूती मिली है कि मलयेशिया के पामऑयल मालिक सरकार से उस प्रभार को खत्म करने की मांग की है जिसे जून 2007 में लगाया गया था। यह प्रभार कुकिंग ऑयल की कीमत को कम करने के लिए लगाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक व्यापारियों ने सरकार से कच्चे पामऑयल की कीमत पर लगाए गए प्रभार को भी खत्म करने की मांग की है।
इन मामलों को लेकर मलयेशिया के पामऑयल निर्माता व जिंस मंत्री के बीच एक बैठक भी की गई है। जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के प्रभार से कच्चे पामऑयल की कीमत में 3 से 5 फीसदी तक का इजाफा हो जाता है।
वनस्पति तेल का इस्तेमाल खाना पकाने से लेकर जलावन के विकल्प के रूप में किया जाता है। पामऑयल को सोयाबीन ऑयल के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है।