देश के स्पंज आयरन उत्पादकों ने कोक, लौह अयस्क और प्राकृतिक गैस की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष पी. आर. धारीवाल ने इस्पात मंत्री रामविलास पासवान को लिखे पत्र में कहा है कि स्पंज आयरन उद्योग चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन उद्योग लगातार बढ़ती कीमतों और प्रमुख कच्चे माल की कम आपूर्ति की समस्या से जूझ रहा है।
धारीवाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की एनएमडीसी ने अक्तूबर 2007 से कीमतों में 47.5 प्रतिशत तक की वृध्दि कर दी है और खनिज की कीमतों में अगले महीने और बढ़ोतरी किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इसी तरह उड़ीसा, झारखंड और कर्नाटक की निजी कंपनियों ने भी पिछले साल अप्रैल से कीमतें 73 प्रतिशत तक बढ़ा दी हैं।
सीमा के अध्यक्ष ने कहा कि इस्पात उद्योग की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश में स्पॉन्ज आयरन की क्षमता में वृध्दि सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा – हमारा मानना है कि लौह अयस्क की कीमत के लिए कोई फर्ॉम्यूला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि खनन मालिकों लौह अयस्क में वैल्यू एडिशन करे ताकि इसका बेहतर इस्तेमाल हो सके क्योंकि यह वक्त की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि स्टील सेक्टर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्पंज आयरन की नई कपैसिटी लगाने की जरूरत है। स्टील मेल्टिंग स्क्रैप की उपलब्धता मुश्किल से हो रही है, साथ ही कोकिंग कोल समेत दूसरी लागतों में हो रही बढ़ोतरी की वजह से यहां की स्टील इंडस्ट्री स्पंज आयरन पर निर्भर करने लगी है।
कच्चे माल की सप्लाई सुनिश्चित करने की मांग करते हुए सीमा अध्यक्ष ने कहा कि कोयला वितरण की नई नीति के तहत 70 फीसदी सप्लाई सुनिश्चित की गई है जबकि बाकी 30 फीसदी के लिए खुले बाजार से आयात की नीति अपनानी पड़ रही है, जहां इसकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि माल भाड़े में हुई बढ़ोतरी परेशानी को और बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा कि माल भाड़ा करीब-करीब दोगुना हो गया है। धारीवाल ने कहा कि एलपीजी की सप्लाई भी ठीक ढंग से न हीं हो रही है, लिहाजा गैस आधारित तीन प्लांट अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें आयातित एलएनजी पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जहां इसकी कीमतें पिछले एक साल में तिगुनी हो गई हैं।
धारीवाल ने कहा कि इन्हीं वजहों से गैस आधारित नए प्लांट नहीं स्थापित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे रैक भी स्टील उत्पादकों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा और मजबूर होकर उन्हें रोड ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है, वहां भी किराया काफी बढ़ गया है। पत्र में धारीवाल ने कहा – उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी बातों पर ध्यान देगी और सही कीमत पर कच्चे माल आदि की सप्लाई सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।