पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी के दायरे में लाकर बढ़ते दामों से राहत दिलाने पर बहस चल रही है मगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया। उन्होंने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि पेट्रोल, डीजल और अन्य तीनों ईंधनों को जीएसटी के दायरे में लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए पहले जीएसटी परिषद से सिफारिश आनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अब तक जीएसटी परिषद ने उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने की सिफारिश नहीं की है।’ परिषद राजस्व पर होने वाले असर सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर इन पांचों उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने पर विचार कर सकती है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि संविधान के अनुसार जीएसटी का अर्थ मानव द्वारा खपत के लिए मदिरा की आपूर्ति के अलावा सभी प्रकार की वस्तुओं अथवा सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर कर से है। सीतारमण ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 279 (5) के तहत जीएसटी परिषद इन पांचों उत्पादों पर जीएसटी लगाने के लिए तारीख की सिफारिश करेगी। इस बीच वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि 2020 में ब्रांडेड पेट्रोल पर बुनियादी उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार सहित केंद्रीय उत्पाद शुल्क 1 जनवरी से 13 मार्च, 2020 के बीच 21.16 रुपये प्रति लीटर था, जिसे 6 मई से 31 दिसंबर के बीच बढ़ाकर 34.16 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘खजाने की मौजूदा हालत को देखते हुए विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने हेतु उत्पाद शुल्क में बदलाव किया गया है।’