देश में इस साल सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। इसकी वजह इस साल सरसों की बोआई ज्यादा होने का अनुमान है। इसके साथ ही इस साल मौसम भी सरसों की फसल के अनुकूल रहा है। इससे भी सरसों का उत्पादन बढ़ने को बल मिला है।
इस साल कितना होगा सरसों का उत्पादन?
तिलहन उद्योग के कारोबारी संगठन सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि COOIT ने इस साल 123 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है। साथ ही यह पिछले साल के 113 लाख टन सरसों उत्पादन से करीब 9 फीसदी ज्यादा है।
राजस्थान में सबसे ज्यादा 53 लाख टन उत्पादन हो सकता है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 18 लाख टन, मध्य प्रदेश में 16 लाख टन, पश्चिम बंगाल में 6 लाख टन, गुजरात में 5 लाख टन और पूर्वी भारत व अन्य में 13 लाख टन सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है।
सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन की क्या है वजह?
नागपाल कहते हैं कि इस साल सरसों की बोआई ज्यादा हुई है। हालांकि बोआई इतनी ज्यादा नहीं हुई जितना ज्यादा उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। उत्पादन ज्यादा बढ़ने की असल वजह इस साल मौसम इस फसल के अनुकूल रहना है। इस साल ढाई महीने अच्छी सर्दी पड़ी। जिससे फसल पकने में मदद मिली। इस साल इस फसल पर मौसम की मार भी नहीं पड़ी।
आईग्रेन इंडिया में कमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान ने बताया कि इस साल उत्तर प्रदेश में रकबा बढ़ने और अनुकूल मौसम के कारण सरसों का उत्पादन ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। इस राज्य में मध्य प्रदेश से भी ज्यादा उत्पादन हो सकता है। इस साल उत्तर प्रदेश में पिछले साल के 14 लाख टन की तुलना में 18 लाख टन, जबकि मध्य प्रदेश में पिछले साल के 16 लाख टन के बराबर ही उत्पादन होने का अनुमान है। मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बेमौसम बारिश से थोड़ा नुकसान होने की भी खबर है।