गुड़, आलू और धान की प्रमुख मंडियों में से एक हापुड़ मंडी से रौनक इन दिनों रुठी हुई है। वैसे, धान का तो सीजन खत्म हो गया है लेकिन आलू और गुड़ का सीजन तो पूरे शबाब पर है। बावजूद इसके मंडी का रंग फक्क पड़ा हुआ है।
बस, सुबह 5 से10 बजे तक सब्जियों के कारोबार होने तक मंडी, मंडी नजर आती है। उसके बाद यहां वीराना ही नजर आता है। हापुड़ मंडी के एक आढ़ती भूरेलाल पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ‘इस सीजन में यहां पर पिछले साल काफी रौनक थी। इस बार गुड़ की आवक कम है और लोग आलू, मंडी से बाहर बेचना ही मुनासिब समझ रहे हैं। ऐसे में कारोबार मंद पड़ा हुआ है।’
अगर गुड़ की आवक ज्यादा होती तो मंडी को मिलने वाले राजस्व में और ज्यादा इजाफा होता क्योंकि धान की तुलना में मंडी को गुड़ से ज्यादा कमाई होती है।
दूसरी ओर, कृषि उत्पादन मंडी समिति, हापुड़ के सचिव अशोक कुमार कहते हैं, ‘यह सही नहीं है कि हमारे राजस्व में कमी आ रही है। पिछले साल की तुलना में मंडी का राजस्व 20 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है।’
लेकिन अशोक कुमार इस बात को नकार नहीं सकते कि गुड़ की कम आवक होने से मंडी के राजस्व में कमी आ रही है क्योंकि गुड़ के भाव पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुने हो गए हैं।
कुमार बताते हैं, ‘यह सही है कि गुड़ की आवक में पिछले दो सालों में लगभग 40 से 50 फीसदी की कमी आई है तो दूसरी तरफ धान की आवक में इस साल 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।’
लेकिन यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि जितना गुड़ मंडी में आता है। उस पर मंडी समिति को ढाई फीसदी मंडी टैक्स मिलता है लेकिन धान के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि निर्यात होने वाले धान पर मंडी को पूरा शुल्क नहीं मिलता।
सबसे ज्यादा हालत तो आलू की खराब है। इस साल आलू की बंपर फसल हुई है। जिसके चलते आलू किसानों की लागत की भरपाई भी नहीं हो रही है।
मंडी के एक आढ़ती कहते हैं, ‘ एक क्विंटल आलू पर 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल का खर्चा आ रहा है और बाजार में आलू का भाव 160 से 180 रुपये प्रति क्विंटल तक ही मिल रहा है। बहुत अच्छा आलू भी 200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। ऐसे में आलू किसान मंडी के बजाय मौके पर ही सौदा करने में भलाई समझ रहे हैं।’
ठंडी पड़ी मंडी
धान का हुआ सीजन खत्म
गुड़ की है कम आवक
आलू बिक रहा है बाहर
दोपहर बाद वीरान हो जाती है मंडी