दीवाली के बाद होगी खाद्य तेलों के आयात शुल्क की समीक्षा!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 1:03 AM IST

चीन के बाद विश्व में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा खरीदार भारत तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क लगा सकता है। घरेलू बाजार सस्ते पाम ऑयल से भर जाता है।


कृषि मंत्री शरद पवार ने आज दिल्ली में कहा कि सरकार दिवाली (28 अक्टूबर) के बाद खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगा सकती है। इस साल अप्रैल में सोयाबीन और पाम ऑयल पर लगने वाला आयात शुल्क समाप्त कर दिया गया था और रिफाइंड खाद्य तेलों पर लगने वाला शुल्क घटा कर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया था ताकि आपूर्ति में इजाफा हो सके।

वनस्पति तेलों की खरीदारी कम होने से पाम ऑयल की कीमतों पर दवाब बढ़ सकता है जिसकी कीमतें मलयेशिया में दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं। भारत द्वारा खाद्य तेलों की कुल खरीदारी में पाम ऑयल की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत की है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने पिछले सप्ताह जानकारी दी थी कि सितंबर में खाद्य तेलों के आयात में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह पिछले साल के 5,69,538 टन से बढ़ कर 6,23,208 टन हो गया। एसईए के अनुसार 30 सितंबर को समाप्त हुए 11 महीनों में आयात में 14.5 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 48.2 लाख टन हो गया।

मलयेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज पर जनवरी डिलिवरी वाले पाम ऑयल की कीमतें 6.7 प्रतिशत कम होकर 1,542 रिंगिट प्रति टन हो गई जो अक्टूबर 2006 के बाद की सबसे कम कीमत है। मांग की अपेक्षा आपूर्ति अधिक होने से इस साल पाम ऑयल की कीमतें लगभग आधी रह गई हैं।

पवार ने कहा कि दिवाली के बाद सरकार खाद्य तेलों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को भी हटा सकती है। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए खाद्य तेलों के निर्यात पर एक साल तक के लिए पाबंदी लगा दी गई थी। पवार ने कहा कि सुगंधित बासमती चावल के निर्यात पर लगने वाला शुल्क हटाया जा सकता है लेकिन सरकार चावल के अन्य किस्मों के निर्यात के मामले ढील नहीं देगी।

विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश भारत, भविष्यवाणियों के अनुसार, इस साल रेकॉर्ड चावल का उत्पादन करने वाला है। समय पर हुई बारिश से किसानों ने इस साल जबरदस्त बुआई की है। धान की बुआई जून में की जाती है और सरकार ने पिछले महीने कहा था कि कुल उत्पादन 832.5 लाख टन हो सकता है।

पिछले वर्ष के मुकाबले यह 5 लाख टन अधिक है। कृषि मंत्री ने धान के किसानों को अधिक बोनस दिए जाने की संभावना से भी इनकार किया। कुछ राज्यों ने इस प्रकार की मांग की थी। उन्होंने कहा, ‘देखिए, कहने को तो कुछ भी कहा जा सकता है लेकिन किसी व्यक्ति को उपभोक्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए।

First Published : October 22, 2008 | 10:41 PM IST