अच्छे मानसून से तिलहन की बुआई में इजाफा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:03 PM IST

तिलहन उत्पादक प्रमुख राज्यों, जिसमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्से भी शामिल हैं, में मॉनसुनी बारिश में हुए सुधार से इन राज्यों के किसानों ने खरीफ के मौसम के लिए तिलहन की बुआई जारी रखी है।


सेंटर ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेंड (सीओओआईटी) के नवीनतम अध्ययनों के मुताबिक तिलहन की बुआई के क्षेत्र में 18 अगस्त तक लगभग पूरी तरह सुधार हुआ है। इस अध्ययन के अनुसार 18 अगस्त तक तिलहन की बुआई क्षेत्र में मामूली 0.58 प्रतिशत की कमी आई और यह 163.91 लाख हेक्टेयर रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 164.49 लाख हेक्टेयर था।

हालांकि, एक अगस्त को तिलहन की बुआई का क्षेत्र 144.31 लाख हेक्टेयर था जिसमें 18 अगस्त तक लगभग 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगस्त के दूसरे सप्ताह के दौरान मौसम विभाग के 36 उप-प्रभागों में से 32 में सामान्य बारिश हुई जबकि 4 उप-प्रभागों में कम बारिश हुई थी। सामान्य बारिश 575 मिलीमीटर की तुलना में वास्तविक संचयी बारिश 588.1 मिलीमीटर थी। इसमें दो प्रतिशत की वृध्दि देखी गई।

हाल में शुरू हुई बारिश के पहले महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सरकार राज्यों में सूखे जैसी स्थिति की घोषणा करने वाले थे। इन राज्यों में बारिश काफी कम हुई थी और तिलहन की बुआई के क्षेत्र में भारी कमी देखी जा रही थी। सीओओआईटी ने अपने रिपोर्ट में कहा है, ‘कम बारिश वाले क्षेत्रों में वर्षो होने के साथ ये अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल का उत्पादन पिछले वर्ष जैसा या फिर उससे अधिक भी हो सकता है।’

बुआई के मामले में अव्वल स्थान पर रहे गुजरात में 17.73 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की खेती की गई है जबकि पिछले वर्ष 16.65 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की गई थी। आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा, यहां इस महत्वपूर्ण तेली की खेती इस साल कुल 13.21 लाख हेक्टेयर में की गई जबकि पिछले साल 13.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तिलहन की खेती की गई थी।

सोयाबीन के मामले में मध्य प्रदेश प्रथम स्थान पर बना रहा है। यहां कुल 51.42 लाख हेक्टेयर (48.01 लाख हेक्टेयर) में सोयाबीन की खेती की गई है। इसके बाद महाराष्ट्र का स्थान आता है जहां 27.44 लाख हेक्टेयर (25.97 लाख हेक्टेयर) में सोयाबीन की खेती की गई है।

तिल की खेती के मामले में राजस्थान का स्थान पहला है जहां 3.94 लाख हेक्टेयर (3.23 लाख हेक्टेयर) में इसकी खेती की गई है उसके बाद गुजरात और मध्य प्रदेश का स्थान आता है जहां क्रमश: 2.28 लाख हेक्टेयर (3.02 लाख हेक्टेयर) और 2.05 लाख हेक्टेयर (2.38 लाख हेक्टेयर) में तिल की खेती की गई है।

जैसी की आशा की जा रही थी कर्नाटक में सूरजमुखी की खेती के क्षेत्र में भारी कमी आई है। कर्नाटक में सूरजमुखी की खेती का रकबा 2.47 लाख हेक्टेयर (4.51 लाख हेक्टेयर) है जो अभी भी देश में इस खाद्य तेल की कुल बुआई क्षेत्र के आधो से अधिक है। देश में सूरजमुखी के बुआई का कुल क्षेत्र पिछले पखवाड़े की शुरुआत में 3.55 लाख हेक्टेयर था जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 6.35 लाख हेक्टेयर थी।

रामतिल की बुआई के क्षेत्र में भी मामूली कमी आई है। पिछले वर्ष यह 1.96 लाख हेक्टेयर था और इस साल 1.78 लाख हेक्टेयर है। मध्य प्रदेश में 1.17 लाख (1.11 लाख) हेक्टेयर में रामतिल की खेती की गई है। गुजरात में 2.25 लाख हेक्टेयर (2.77 लाख हेक्टेयर) में अरंडी की खेती की गई, आंध्र प्रदेश में 1.31 लाख हेक्टेयर (2.11 लाख हेक्टेयर) में अरंडी की खेती की गई है।

First Published : August 21, 2008 | 11:19 PM IST