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चीनी उत्पादन में कमी की आशंका; गन्ने के रस से एथनॉल बनाने पर लगी रोक, मगर इस शीरे से मिली इजाजत

सूत्रों ने कहा कि 2023-24 एथनॉल आपूर्ति वर्ष में गन्ने के रस और सिरप से एथनॉल उत्पादन से रोक के कारण चीनी की आपूर्ति में 14 से 18 लाख टन चीनी का इजाफा हो सकता है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- December 07, 2023 | 10:02 PM IST

अक्टूबर से शुरू हुए चीनी सत्र 2023-24 में चीनी का उत्पादन कम रहने की आशंका के कारण केंद्र सरकार ने सभी चीनी मिलों को निर्देश दिया है कि वह एथनॉल बनाने में इस साल गन्ने के रस का उपयोग न करें। मगर बी-हेवी शीरे से एथनॉल बनाने की इजाजत दे दी गई है।

सरकार का यह निर्देश चीनी कंपनियों के लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि इस खबर के बाद ज्यादातर चीनी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। निवेशकों ने चीनी कंपनियों के शेयर बेचने शुरू कर दिए क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे एथनॉल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

सूत्रों ने बताया कि हाल में खत्म हुए 2022-23 (दिसंबर-अक्टूबर) एथनॉल आपूर्ति वर्ष में देश में 4.94 अरब लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ। इसमें से करीब 25 फीसदी यानी 1.26 अरब लीटर एथनॉल गन्ने के रस से बनाया गया और 2.33 अरब लीटर एथनॉल का उत्पादन बी-हेवी शीरे से किया गया। बाकी 1.30 अरब लीटर अनाज के अवशेष से बनाया गया।

सूत्रों ने कहा कि 2023-24 एथनॉल आपूर्ति वर्ष में गन्ने के रस और सिरप से एथनॉल उत्पादन से रोक के कारण चीनी की आपूर्ति में 14 से 18 लाख टन चीनी का इजाफा हो सकता है।

उद्योग के कुछ भागीदारों ने कहा कि सरकार ने इस साल गन्ने से बनने वाले एथनॉल का मूल्य भी शायद इसीलिए तय नहीं किया क्योंकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एथनॉल कार्यक्रम से चीनी की आपूर्ति पर क्या असर होगा। लेकिन अब गन्ने की पेराई का तीसरा महीना है और चीनी उत्पादन की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं लग रही है। यही वजह है कि चीनी के आयात पर रोक लगाने के बाद मिलों को गन्ने से एथनॉल बनाने से रोकने का निर्देश दिया है ताकि उपभोक्ताओं के लिए चीनी उपलब्ध हो सके।

देश में कई स्रोतों से एथनॉल का उत्पादन किया जाता है मगर सबसे ज्यादा एथनॉल गन्ने के शीरे से या अनाज से तैयार किया जाता है। गन्ने से एथनॉव रस या सिरप से बनाया जाता है और बी-हेवी तथा सी-हेवी शीरे (गन्ने का अवशेष) से भी एथनॉल बनाया जाता है। उद्योग के भागीदारों के अनुसार गन्ने के रस या सिरप से सीधे एथनॉल बनाने पर चीनी का उत्पादन घट जाता है। बी-हेवी और सी-हेवी शीरे से एथनॉल बनाने पर चीनी उत्पादन में खास कमी नहीं आती। सी-हीवी शीरे से एथनॉल बनाने में भी चीनी का नुकसान नहीं होता।

इसलिए 2023-24 सत्र में चीनी का वास्तविक उत्पादन खपत के मुकाबले कुछ अधिक होने की उम्मीद है। उद्योग प्रतिभागियों के अनुसार सरकार ने एथनॉल बनाने के लिए चीनी के बजाय अन्य उत्पादों का उपयोग करने का फैसला किया है।

एग्रीमंडी डॉट लाइव रिसर्च के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी उप्पल शाह ने कहा, ‘इस कदम से पक्का हो जाएगा कि चीनी उत्पादन कम रहने पर भी घरेलू मांग पूरी करने के लिए देश में पर्याप्त चीनी होगी। यह भी देखा जाएगा कि चालू सत्र में एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य कैसे पूरा होता है। एथनॉल मुख्य रूप से बी-हेवी शीरे, टूटे चावल और मक्का से बनता है।’

भारत में सत्र 2023-24 के पहले दो महीनों में चीनी का उत्पादन करीब 10.5 फीसदी घटकर 43.2 लाख टन रह गया। उद्योग के मुताबिक पूरे सत्र में चीनी का शुद्ध उत्पादन करीब 2.9 करोड़ टन रहेगा जबकि खपत 2.8 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

First Published : December 7, 2023 | 10:02 PM IST