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कच्चे तेल की मांग 2030 तक 11.2 करोड़ बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान: S&P

भारत में कच्चे तेल की मांग 2040 तक 72 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। अभी यह 52 लाख बैरल प्रतिदिन है।

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भाषा   
Last Updated- November 30, 2023 | 6:22 PM IST

कच्चे तेल की वैश्विक मांग 2030 में 11.2 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक पहुंचने की संभावना है। इस मांग में भारत और अफ्रीका का प्रमुख योगदान होगा। एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स ने यह जानकारी दी।

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के भारतीय मामलों के प्रमुख पुलकित अग्रवाल ने कहा कि कच्चे तेल की मौजूदा वैश्विक मांग 10.3 करोड़ बैरल प्रतिदिन है जो 2030 में बढ़कर प्रतिदिन 11.2 करोड़ बैरल हो सकती है।

‘एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स: मीडिया राउंडटेबल आउटलुक 2024’ के दौरान अग्रवाल ने कहा कि 2030 तक मांग में 8.73 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसमें भारत और अफ्रीका का सबसे अधिक योगदान होगा, क्योंकि उस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी।

उन्होंने कहा कि विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं ने खाना पकाने में स्वच्छ ईंधन और हरित परिवहन के इस्तेमाल पर जोर दिया है और रिफाइनरी स्थापित करने को बढ़ावा दिया है। अग्रवाल ने कहा कि भारत में कच्चे तेल की मांग 2040 तक 72 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। अभी यह 52 लाख बैरल प्रतिदिन है।

उन्होंने कीमतों के बारे में कहा, ‘‘ हमारे आधार मूल्य की बात करें तो तेल की कीमत 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहने का अनुमान है। 2024 की तीसरी तिमाही तक ;g 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच सकती है।’’

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स की कार्यकारी निदेशक (ऊर्जा बदलाव और एंड स्वच्छ प्रौद्योगिकी परामर्श) गौरी जौहर ने कहा कि जैसे-जैसे भारत वृद्धि करेगा वैसे-वैसे पर्यावरण अनुकूल तरीके से बदलाव भी होगा। यह बदलाव परिवहन और शहरीकरण के क्षेत्र में होने वाले आर्थिक बदलाव पर आधारित होगा।

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स की भारत/पश्चिम एशिया केमिकल्स प्राइसिंग एसोसिएट निदेशक स्तुति चावला ने कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि और मजबूत औद्योगिक उत्पादन को देखते हुए एशिया में 2024 में पेट्रो रसायन मांग सबसे अधिक भारत में होने का अनुमान है।

भारत में रासायनिक जिंस उत्पादों का बाजार 2023 में करीब सात प्रतिशत और 2024 में आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। मजबूत मांग वृद्धि को भारत की आर्थिक गतिविधि में तेज वृद्धि से बल मिल रहा है।

वहीं एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के एल्विस जॉन ने कहा कि बढ़ती घरेलू कीमतों, अल नीनो के फसल उत्पादन को प्रभावित करने के डर और राज्यों में हुए चुनाव तथा 2024 में आम चुनाव से पहले भारत ने 2023 में अनाज व्यापार पर कई प्रतिबंध लगाए हैं।

उन्होंने कहा कि निर्यात पर अंकुश लगाने और नई फसल की आवक से गैर-बासमती चावल की घरेलू कीमतें थोड़ी कम हुईं हैं। हालांकि, बाजार प्रतिभागियों को अल्पावधि में कीमतों में भारी गिरावट की उम्मीद नहीं है क्योंकि सरकार कई राज्यों के चुनाव और 2024 में आम चुनाव से पहले खरीद में सक्रिय होगी।

First Published : November 30, 2023 | 6:22 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)