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कपास मिलों ने ओटन क्षमता घटाई

Last Updated- December 08, 2022 | 4:00 AM IST

गुजरात के ओटन मिलों (कपास से बीजों को हटा कर साफ करने वाली मिलें) को कपास की अधिक कीमतों का प्रतिकूल असर हो रहा है।


कपास की कीमतें अधिक होने के कारण भारी घाटा उठा रहे गुजरात की अधिकांश ओटन मिलों ने अपना उत्पादन पहले ही घटा दिया है। औद्योगिक आंकलन के मुताबिक, वर्तमान में ओटन मिलें अपनी उत्पादन क्षमता के केवल 20 प्रतिशत का उपयोग कर रही हैं। मिलों की 80 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।

कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 575 रुपये प्रति 20 किलो तय किया गया है। ऑल गुजरात कॉटन गिन्नर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिलीप पटेल ने कहा, ‘हम लोग 550 रुपये प्रति 20 किलो के हिसाब से कपास की खरीदारी कर सकते हैं। कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 550 रुपये प्रति 20 किलो होने के कारण ओटाई करने वालों को प्रति 20 किलो 25 रुपये का घाटा झेलना पड़ेगा।

परिणामस्वरूप, अधिकांश ओटन मिलें अभी अपनी क्षमता के 20 प्रतिशत का इस्तेमाल करते हुए परिचालित हो रही हैं।’

वर्तमान में  ओटने और दबाने की यूनिटों में प्रति दिन कपास की 20,000 से 25,000 गांठें जा रही हैं जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 80,000 गांठें हुआ करती थीं।अहमदाबाद स्थित कपास कारोबारी कंपनी अरुण दलाल ऐंड कंपनी के मालिक अरुण दलाल ने कहा, ‘गुजरात में लगभग 1,100 ओटन मिलें हैं। बड़ी संख्या में मिलें बंद हुई हैं और जो परिचालित हो रही हैं उनमें केवल एक पाली में काम हो रहा है।’

उल्लेखनीय है कि ओटाई करने वालों के साथ-साथ कपास उद्योग के अन्य हिस्सेदारों ने कुछ हफ्ते पहले कपास के न्यनतम समर्थन मूल्यों को युक्तिसंगत बनाने की मांग की थी।

First Published - November 17, 2008 | 11:31 PM IST

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