केंद्र सरकार कंपनियों और व्यक्तिगत आयकरदाताओं को मिलने वाली कुछ प्रत्यक्ष कर छूट धीरे-धीरे खत्म करने पर विचार कर सकती है। इसके बारे में 2023-23 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषणा की जा सकती है।
नीति निर्माण से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार के आंतरिक मूल्यांकन के अनुसार बड़ी तादाद में कंपनियों और व्यक्तिगत करदाताओं ने छूट रहित कर व्यवस्था अपनाई है तथा बजट निर्माताओं को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में कई और लोग नई कर व्यवस्था अपना सकते हैं। उक्त शख्स ने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय पूंजीगत लाभ कर की दरों को तर्कसंगत बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है। हालांकि अभी इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है।
अधिकारी ने कहा, ‘छूट रहित कर व्यवस्था को अपनाने की दर अभी तक उत्साहजनक रही है। नई दरों के दायरे में लोग धीरे-धीरे जाएंगे क्योंकि कुछ कंपनियां और व्यक्तिगत आयकरदाता रियायतों का लाभ उठाना चाह रहे हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों के नई व्यवस्था में जाने पर हम कुछ रियायतों को धीरे-धीरे खत्म कर देंगे।’
सितंबर 2019 में वित्त मंत्री ने कॉर्पोरेट कर की नई दरों की घोषणा की थी, जिसके तहत कई रियायतों को खत्म कर न्यूनतम दर 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दी गई थी। नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉर्पोरट कर की दर भी 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी की गई थी।
महामारी आने से ठीक पहले 2020-21 के आम बजट में सीतारमण ने उन लोगों के लिए व्यक्तिगत आयकर की दरें घटाने की घोषणा की थी, जो कुछ छूट या कटौती छोडऩा चाहते हैं। 5 लाख से 7.5 लाख रुपये सालाना आय के लिए कर की दर 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी गई थी। इसके साथ ही 7.5 लाख से 10 लाख रुपये सालाना आय पर कर 20 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी किया गया था और 15 लाख रुपये तक भी इसी तरह की कटौती की गई थी। हालांकि 15 लाख रुपये से ऊपर सालाना आय पर 30 फीसदी कर की दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था।
उक्त अधिकारी ने कहा कि कॉर्पोरेट कर की नई व्यवस्था व्यक्तिगत आयकर में बदलाव से पहले आई थी, ऐसे में कॉर्पोरेट कर से संबंधित रियायतें पहले वापस ली जाएंगी। हालांकि उन्होंने इस पर जोर देकर कहा कि रियायतों को खत्म करने पर अभी केवल विचार किया जाएगा। 1 फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में वित्त मंत्री इन रियायतों को धीरे-धीरे खत्म करने का खाका पेश कर सकती हैं।
डेलॉयट इंडिया में प्रत्यक्ष कर पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा, ‘मेरे विचार से कुछ रियायतों को खत्म नहीं करना चाहिए बल्कि बरकरार रखना चाहिए। उदाहरण के लिए 80जेजेएए, जिसके तहत कंपनियों को नए श्रमिक नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसे में कुछ रियायतें जारी रहनी चाहिए। लेकिन नियत अवधि तक कर छूट जैसे जिन प्रावधानों पर कानूनी विवाद होता है, उन्हें खत्म करने का विचार अच्छा हो सकता है।’