केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य 55 फीसदी से ज्यादा घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है क्योंंकि निजीकरण के बड़े प्रस्तावों के क्रियान्वयन में देर हो रही है और इस साल का लक्ष्य पूरा करने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कामयाब सूचीबद्धता पर आस टिकी हुई है। अगले साल के लिए विनिवेश का लक्ष्य 65,000 करोड़ रुपये तय किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, एलआईसी का सार्वजनिक निर्गम जल्द आएगा और अन्य साल 2022-23 में पेश किए जाने की प्रक्रिया में हैं।
निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 12,030 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसका मतलब यह है कि सरकार एलआईसी के आईपीओ से न्यूनतम 66,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद कर रही है। हालांकि माना जा रहा है कि एलआईसी आईपीओ से मिलने वाली रकम देश के आईपीओ की सबसे ज्यादा रकम होगी, जो इस पर निर्भर करेगा कि सरकार इसकी पेशकश के किस आकार को अंतिम रूप देती है और बाजार की स्थितियां कैसी है। अगले साल के लिए भी सरकार ने 65,000 करोड़ रुपये का हासिल करने योग्य लक्ष्य तय किया है क्योंंकि उसे भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और शिपिंग कॉरपोरेशन आदि बड़ी कंपनियों का निजीकरण पूरा होने की उम्मीद है।
सरकार ने मौजूदा व अगले वित्त वर्ष के लिए सार्वजनिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी से मिलने वाली रकम का अनुमान भी नहीं लगाया है, जो संकेत देता है कि दो सार्वजनिक बैंकों व एक सार्वजनिक बीमा कंपनी का निजीकरण टल सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकोंं व वित्तीय संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश से इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान सरकार ने लगाया था। साल में विनिवेश से 1.75 लाख रुपये का लक्ष्य लेकर चल रही सरकार को बीपीसीएल, एससीआई के निजीकरण और एलआईसी आईपीओ पेश होने की उम्मीद थी। हालांकि कोरोना की दूसरी व तीसरी लहर ने प्रक्रिया में देरी की और इससे निवेशक परेशान हुए।
वित्त वर्ष 22 के लिए विनिवेश लक्ष्य हासिल करने योग्य बनाने की खातिर उसमें कटौती की गई है और एलआईसी का आईपीओ जल्द पेश हो सकता है। यह कहना है एनए शाह एसोसिएट्स एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर संदीप शाह का।
शाह ने कहा, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार एलआईपी आईपीओ का आकार घटाने पर विचार कर रही है क्योंकि शुरुआती अनुमान में कहा गया था कि एलआईसी की सूचीबद्धता से सरकार 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हासिल करने जा रही है। अभी इसके संकेत नहीं हैं कि मूल्यांकन चिंता का विषय है।