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विदेशी ब्रोकरेज फर्मों को पसंद आया बजट

विदेशी ब्रोकरेज फर्मों को पसंद आया बजट

Published by
पुनीत वाधवा   
Last Updated- July 24, 2024 | 10:53 PM IST

अगर पूंजी लाभ कर व्यवस्था में बदलावों को छोड़ दें तो ज्यादातर ब्रोकरों ने बजट प्रस्तावों का स्वागत किया है। उनका मानना है कि बजट प्रस्तावों से इक्विटी और रियल एस्टेट परिसंपत्ति वर्गों में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। अगले कुछ दिनों में बाजार में बजट प्रस्तावों का असर दिखेगा और वे जून तिमाही के जारी नतीजों, मॉनसून की चाल और आरबीआई के नीतिगत कदमों पर नजर रखेंगे।

दुनिया की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े घटनाक्रम, भूराजनीतिक हालात और कच्चे तेल की कीमतें ऐसे कुछ कारक हैं, जिनसे बाजार धारणा पर असर पड़ सकता है। इस बीच, यहां बजट प्रस्तावों पर प्रमुख ब्रोकरों की राय पेश की जा रही है।

गोल्डमैन सैक्स

सरकार ने सभी महत्वपूर्ण आर्थिक कदमों पर जोर दिया है। राजस्व लक्ष्य मोटे तौर पर हासिल करने योग्य और कर अनुमान उचित दिख रहे हैं। बजट में राज्य सरकारों के साथ मिलकर भविष्य के लिए दीर्घावधि आर्थिक विकास का नीतिगत ढांचा तैयार करने की बात कही गई है। हम वृहद और मजबूत आय प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय शेयरों पर सकारात्मक बने हुए हैं जिससे ऊंचे भावों के बावजूद उनका आकर्षण बरकरार रह सकता है।

मॉर्गन स्टैनली

तीन बड़े बदलाव किए गए हैं। पहला है, रोजगार सृजन के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना। दूसरा, कर संहिता को सरल बनाना, जिसमें टीडीएस दरों और पूंजीगत लाभ कर दरों का एकीकरण, आयात शुल्कों को युक्तिसंगत बनाना, ऐंजल कर हटाना तथा अगले बजट तक इसे और अधिक सरल बनाने का वादा शामिल है।

लोकलुभावन खर्च में कमी अनुमान के अनुरूप है, भले ही शेयरों पर पूंजीगत लाभ कर में बढ़ोतरी हमारे अनुमानों (कोई बदलाव नहीं होने) के उलट है। हम भारतीय शेयरों पर सकारात्मक बने हुए हैं। स्मॉलकैप तथा मिडकैप की तुलना में हम लार्जकैप को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। हम वित्त, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, उद्योग एवं प्रौद्योगिकी पर ओवरवेट जबकि अन्य क्षेत्रों पर अंडरवेट हैं।

नोमुरा

बजट लक्ष्यों के अनुरूप सरकारी खर्च में वृद्धि से चुनाव के दौरान रहे धीमेपन में कुछ सुधार आ सकता है। हालांकि मजबूत वृद्धि के लिए निजी खपत और निजी पूंजीगत खर्च दोनों में सुधार जरूरी होगा। खपत बढ़ाने के लिए आयकर में कटौती सकारात्मक है, लेकिन ऊंचे पूंजी लाभ कर से उनके निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।

यूबीएस

डेरिवेटिव सौदों पर ज्यादा एसटीटी से एफऐंडओ सेगमेंट में अल्पावधि के लिहाज से कुछ नरमी देखी जा सकती है। वहीं नई कर योजना के स्लैब में कर बोझ घटने से खपत बढ़ाने में मदद मिल सकती है। गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों (जैसे अचल संपत्ति/सोना) पर पूंजी लाभ कराधान की गणना करते समय इंडेक्सेशन लाभ हटाने से वित्तीय परिसंपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाने और बचत को औपचारिक बनाने में मदद मिल सकती है। इससे खासकर अचल संपत्ति क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।

सीएलएसए

इंडेक्सेशन लाभ समाप्त करने और एलटीसीजी कर कम करने से ऐसे उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है जो अपना मौजूदा मकान बेचकर नए मकान में फिर से निवेश करते हैं लेकिन इसका प्रभाव उन निवेशकों पर पड़ेगा जो अपना मकान (निवेश) बेचकर अन्य परिसंपत्ति वर्गों में फिर से निवेश करते हैं। नई व्यवस्था उन निवेशकों के लिए नुकसानदायक होगी जिनकी होल्डिंग अवधि पांच वर्ष से कम है।

First Published : July 24, 2024 | 10:53 PM IST