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FTA में कम शुल्क लगने से महंगी लक्जरी कारों की बाजार पहुंच बढ़ने की उम्मीद

मैकलारेन ने 2022 के बाद से भारत में करीब 50 कारें बेची हैं जबकि रॉलस रॉयस ने भारत में भारत ने वर्ष 2023 में करीब 60 कारें बेची हैं

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सोहिनी दास   
Last Updated- July 24, 2025 | 10:37 PM IST

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में कम शुल्क लगने से महंगी लक्जरी कारों की बाजार पहुंच बढ़ने की उम्मीद है।  हालांकि जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) जैसी कंपनियां पहले ही भारत में बिकने वाली अपनी 60 प्रतिशत कारों का  निर्माण स्थानीय स्तर पर करती हैं।

भविष्य में डिफेंडर मॉडल भी भारत में असेंबल होने की संभावना कायम है। डिफेंडर मॉडल का निर्माण स्लोवाकिया के संयंत्र में होता है जो भारत-यूके एफटीए के समझौते से बाहर है। ब्रिटेन भारत एफटीए में दोनों पक्षों के लिए मोटर वाहन आयात पर विभिन्न तरह के शुल्क 110 प्रतिशत से गिरकर 10 प्रतिशत पर आ जाएंगे।

इससे जेएलआर को सर्वाधिक फायदा पहुंचने की उम्मीद है। आयात शुल्क घटने से कंपनियों एस्टन मार्टिन (बाजार सूत्रों के अनुसार भारत में वर्ष 2024 में 25 से कम कारें बेची थीं), रॉल्स रॉयस, मैकलारेन जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। इंजन के प्रकार के आधार पर कोटा और शुल्क ढांचा अलग-अलग है। इसलिए उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि ब्रिटेन की लक्जरी कारें 50 प्रतिशत या अधिक सस्ती हो सकती हैं। अभी भी उद्योग इस समझौते के बारीकी को समझ रहा है। मैकलारेन ने 2022 के बाद से भारत में करीब 50 कारें बेची हैं जबकि रॉलस रॉयस ने भारत में भारत ने वर्ष 2023 में करीब 60 कारें बेची हैं (नवीनतम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं)।

अभी जेएलआर भारत में बिकने वाली कारों की 60 प्रतिशत इकाइयां हिस्सों (सीकेडी) में आती हैं और फिर यहां असेंबल होती हैं। यह भारत के तमिलनाडु में वर्ष 2026 से स्थानीय स्तर पर बनाना शुरू होंगी।  यह भारत (पुणे संयंत्र) में रेंज रोवर, रेंज रोवर स्पोर्ट, वेलर और इवोक का निर्माण करता है। कारों के हिस्से (सीकेडी) वाली इकाइयों पर 15 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है।  जेएलआर के प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘हम यूके और भारत के बीच इस मुक्त व्यापार समझौते का स्वागत करते हैं। यह आने वाले समय में जेएलआर के लक्जरी वाहनों को भारतीय कार बाजार में कम शुल्क में पहुंच प्रदान करेगा। ,” उन्होंने कहा कि कंपनी के ब्रिटिश-निर्मित उत्पादों के लिए भारत अहम बाजार है और भविष्य के महत्त्वपूर्ण विकास के अवसरों का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय बाजार में आयातित उत्पादों की कीमत में बदलाव के बारे में एक अलग प्रश्न में ब्रिटेन स्थित प्रवक्ता ने कहा: ‘कीमतों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।’

दिलचस्प बात यह है कि भारत में बेची जाने वाली जेएलआर कारों के शेष 40 प्रतिशत में डिफेंडर भी शामिल है। डिफेंडर श्रृंखला की कारों का निर्माण स्लोवाकिया के नाइट्रा संयंत्र में किया जाता है जो इस मुक्त व्यापार समझौते के दायरे से बाहर है।

रेंज रोवर के ग्लोबल एमडी मार्टिन लिम्पर्ट ने हालिया साक्षात्कार में कहा था कि डिफेंडर भारतीय बाजार में ‘बेहद सफल’ कार है। इसलिए स्थानीय उत्पादन को देखना उनके लिए ‘स्वाभाविक’ है।

First Published : July 24, 2025 | 10:30 PM IST