लेखक : शेखर गुप्ता

आज का अखबार, लेख

जाति जनगणना एक खराब विचार है

जाति जनगणना को बुरा करार देने की एक वजह यह भी है कि अब तक राहुल गांधी के सिवा कोई भी यह नहीं बता सका है कि जाति के आंकड़ों का क्या होगा। नरेंद्र मोदी सरकार की जाति जनगणना कराने की घोषणा के बारे में एक अच्छी बात हम यह कह सकते हैं कि आखिरकार, […]

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हिंदुओं को निशाना बनाना भारत की परीक्षा के समान

पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए आप कम से कम यह नहीं कह सकते कि उनका कोई भरोसा नहीं है, कब क्या कर जाएं। भारत के खिलाफ आतंकवाद शुरू करने के बाद पिछले 45 साल में हमेशा पता रहता है कि वे क्या करने जा रहे हैं। पहले तो इस रणनीति को समझते […]

आज का अखबार, लेख

विपक्षी विचारहीन राजनीति के सामने मोदी की चुनौती

मोदी को पराजित करने की कोशिश में लगे विपक्ष के पास नए विचारों का सख्त अभाव है। वे मुफ्त उपहारों की बात करते हैं लेकिन दिक्कत यह है कि वे जो भी वादा करेंगे, मोदी उससे बेहतर वादा कर देंगे। चूंकि मोदी सत्ता में हैं, इसलिए उनको अधिक गंभीरता से लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]

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दो महाशक्तियों की भिड़ंत में भारत की भूमिका

डॉनल्ड ट्रंप ने अपनी कारोबारी जंग में शेष विश्व को 90 दिन की मोहलत देकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है जबकि चीन के लिए टैरिफ को बढ़ाकर 145 फीसदी कर दिया है। इस पर चीन ने भी 125 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इसे हम दो ताकतवर हाथियों की आपसी लड़ाई के रूप […]

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भारत का सिनेमाई राष्ट्रवाद और मनोज कुमार का असर

बीते छह दशकों में भारतीय राष्ट्रवाद या देशभक्ति किस तरह विकसित हुई है इसे समझने का एक नजरिया इस बात पर नजर डालना भी हो सकता है कि सिनेमा, खासकर बॉलीवुड ने अलग-अलग दौर में इसे किस तरह परिभाषित किया। ‘भारत’ मनोज कुमार (वास्तविक नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी) के निधन ने हमें यह अवसर दिया […]

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ट्रंप की धमकी और सुधार का अवसर

डॉनल्ड ट्रंप का आगमन और ‘ट्रंपवाद’ का तेज उभार भारत के लिए अच्छा है या बुरा? व्हाइट हाउस में आने के बाद से वह एक ही राग अलाप रहे हैं, ‘दुश्मन क्या हमें तो अपनों ने भी लूट लिया।’ तब से वह अपने दोस्तों को ही निशाना बना रहे हैं। सामरिक और रक्षा में यूरोप […]

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भारत को गढ़ने वाले वे उन्नीस महीने

लाल बहादुर शास्त्री के 19 महीने के कार्यकाल की विरासत को ताशकंद शांति समझौते तक समेट देना उनके साथ न्याय नहीं है। पलटकर देखें तो 19-19 महीने के दो दौर नजर आएंगे, जिन्होंने तीन पीढ़ियों में हमारे अतीत को गढ़ा है, हमारा वर्तमान तय किया है और एकदम अलहदा तरीकों से हमारे भविष्य को भी […]

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बोफोर्स तथा राजीव काल के बहाने स्थिति का आकलन

बोफोर्स तथा अन्य बातों के लिए राजीव गांधी को कोसने का चलन बन गया है मगर सच यह है कि 1985 से 1989 तक वह इकलौता दौर था, जब हमारे देश ने भविष्य को ध्यान में रखकर हथियार खरीदे थे। सबसे पहले वादा कीजिए कि आप लेख का आखिरी हिस्सा पहले नहीं पढ़ेंगे। इस लेख […]

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अफसरशाही पर विपरीत है ट्रंप और मोदी का नजरिया

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिस समय ईलॉन मस्क को देश की अफसरशाही यानी ब्यूरोक्रेसी पर लगाम कसने के अधिकार दे दिए हैं लगभग उसी समय भारत में मोदी सरकार ने आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी कर दी है। इनमें से पहला यानी ट्रंप का कदम सरकार का आकार कम करने और खर्च […]

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परमाणु हथियारों की वापसी का दौर

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को मुसीबत में बेसहारा छोड़ दिया है, ग्रीनलैंड को नॉटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सहयोगी डेनमार्क से छीनने की धमकी दी है और और यूरोप को तो यह कहकर रुला ही दिया है कि व्लादीमिर पुतिन से खुद ही निपटो। ऐसे में कुछ सवाल तो बनते […]