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दाम गिरने से घाटे में आलू-प्याज किसान

Published by
संजीब मुखर्जी
Last Updated- March 10, 2023 | 11:24 AM IST

आलू-प्याज-टमाटर की तिकड़ी में प्याज और आलू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हर साल इनकी कीमतों में तेज वृद्धि और गिरावट होती है और तमाम कोशिशों के बावजूद इस बार भी इन सब्जियों ने अलग रुख अपनाने से इनकार कर दिया है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के थोक बाजार में प्याज की कीमत 7 मार्च को करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल रही। इसकी कीमत में एक महीने में 26 प्रतिशत कमी आई है। इसी तरह से दिल्ली के बाजारों में आलू की थोक कीमत करीब 800 रुपये प्रति क्विंटल है और महज एक महीने में दाम 20 प्रतिशत घटे हैं।

टमाटर की कीमत थोड़ी ठीक है और एक महीने में इसकी कीमत महज 6 प्रतिशत बढ़ी है।

आलू और प्याज का उत्पादन करने वाले प्रमुख केंद्रों पर स्थितिऔर खराब है। किसानों का कहना है कि उन्हें उत्पादन की लागत भी नहीं मिल रही है, मुनाफा तो दूर की बात है।

कुछ जगहों से ऐसी वीडियो आई कि किसान अपनी आलू की फसल खेत में ही जोत रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद से मुनाफे की आस खत्म हो गई है।

इन सब्जियों की कीमत में कई वजहों से बहुत उतार चढ़ाव आती है। इनके उत्पादन के प्रमुख केंद्र सीमित हैं और खपत बढ़ रही है।

दूसरी शायद सबसे महत्त्वपूर्ण वजह यह है कि आधुनिक तरीके से प्रसंस्करण और भंडारण की सुविधाएं सीमित हैं। ऐसे में जब कीमत गिरती है तो किसानों को अपनी फसल फेंकनी पड़ती है। वे भविष्य में इस्तेमाल या प्रसंस्करण के लिए इसका भंडारण नहीं कर सकते।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘प्याज का भंडारण चुनौतीपूर्ण है। ज्यादातर स्टॉक खेत में बने चॉल मे रखा होता है। इस भंडारण की अपनी चुनौतियां हैं। इनके भंडारण के लिए वैज्ञानिक तरीके से बने कोल्ड चेन भंडारण की जरूरत है।’

गलत तरीके से भंडारण से भी समस्या होती है और कुछ अनुमान के मुताबिक हर साल करीब 20 से 40 प्रतिशत प्याज बर्बाद हो जाता है।

कुछ साल पहले हुए कुछ अध्ययनों के मुताबिक कुछ साल पहले तक करीब 5.8 से 17 प्रतिशत फल और सब्जियां हर साल बर्बाद होती हैं। इसकी कई वजहें हैं, जिसमें उचित भंडारण की व्यवस्था न होना अहम है।

First Published : March 9, 2023 | 11:53 PM IST