आज का अखबार

2022 के दौरान मूल्य बढ़ने से फार्मा सेल को मिला तेजी

Published by
सोहिनी दास
Last Updated- January 10, 2023 | 8:06 AM IST

कैलेंडर वर्ष 2022 में मूल्य निर्धारण की वजह से भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार का विस्तार हुआ है, जबकि मात्रात्मक वृद्धि सुस्त रही। बाजार पर नजर रखने वाली कंपनी एआईओसीडी फार्मासॉफ्टेक एडब्ल्यूएसीएस (एआईओसीडी-एडब्ल्यूएसीएस) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

वित्त वर्ष 22 के दौरान घरेलू फार्मा बाजार में 7.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ। ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मास्युटिकल्स (जीएसके फार्मा) का एंटीबायोटिक ब्रांड ऑगमेंटिन कैलेंडर वर्ष 22 के दौरान 27 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इस वर्ष देश में सबसे अधिक बिकने वाली दवा के रूप में उभरा।

आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 22 में मूल्य संचालित वृद्धि दर छह प्रतिशत रही है, नए उत्पादों से 1.7 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि मात्रात्मक वृद्धि शून्य रही है। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (7.6 प्रतिशत), श्वसन (7.1 प्रतिशत) तथा दर्दनाशक (7.1 प्रतिशत) जैसे खंडों में अधिकतम मूल्य वृद्धि देखी गई है। कार्डियक दवा, न्यूरोलॉजिकल रोगों की दवाएं, विटामिन और यूरोलॉजी दवाओं में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है। मधुमेह के उपचार में नए उत्पाद की शुरुआत ने वृद्धि में अच्छा योगदान किया।

एआईओसीडी एडब्ल्यूएसीएस ने पाया कि पुराने ब्रांडों ने इस बाजार की वृद्धि पर लगाम लगाई। दूसरी तरफ संक्रमण रोधी, श्वसन, एंटीनोप्लास्टिक्स, हार्मोन और नेत्र विज्ञान जैसे उपचार क्षेत्रों में अपेक्षाकृत जोरदार मात्रात्मक वृद्धि देखी गई है।

एआईओसीडी-एडब्ल्यूएसीएस की अध्यक्ष (विपणन) शीतल सापले ने कहा, डैपाग्लिफ्लोजिन और साइटैग्लिप्टिन जैसी मधुमेह की प्रमुख दवाएं पेटेंट से बाहर होने से नई दवाओं की शुरुआत को बढ़ावा मिला है। सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज (11 प्रतिशत), एबॉट इंडिया (आठ प्रतिशत), मैनकाइंड फार्मा (17 प्रतिशत), टॉरंट फार्मास्युटिकल्स (15 प्रतिशत), इंटास फार्मास्युटिकल्स (18 प्रतिशत), और जाइडस लाइफसाइंसेज (नौ प्रतिशत) जैसी कंपनियों ने वर्ष के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है।

First Published : January 10, 2023 | 8:06 AM IST