लगातार दो तिमाहियों में स्पेशियल्टी केमिकल (Specialty Chemicals) के कमजोर मार्जिन और शुद्ध लाभ में सुस्ती के बाद ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि मौजूदा रुख अब समाप्त होने वाला है और वित्त वर्ष 24 के आखिर तक इनमें सुधार की उम्मीद है।
केमिकल की कीमतें हालांकि नरम बनी हुई है, पर मांग में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है क्योंकि केमिकल की डी-स्टॉकिंग सामान्य रूप से होगी। हालांकि रिकवरी यानी सुधार की रफ्तार आदि अनिश्चित है।
सितंबर तिमाही में इस क्षेत्र का परिचालन व शुद्ध लाभ एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले क्रमश: 18 फीसदी व 25 फीसदी गिरा है। यह गिरावट विभिन्न क्षेत्रों और इसके इस्तेमाल वाले क्षेत्रों में इन्वेंट्री समाप्त किए जाने, आक्रामक कीमत और चीन से डंपिंग के अलावा महंगाई के बीच अमेरिका व यूरोप से मांग में सुस्ती की वजह से आई है। यह कहना है नुवामा रिसर्च का।
अहम कंपनियों में गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ा और उसकी बिक्री व परिचालन लाभ में एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले क्रमश: 35 फीसदी व 71 फीसदी की गिरावट आई।
ज्यादातर कंपनियों की बिक्री हालांकि घटी है, पर पीआई इंडस्ट्रीज ने राजस्व में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है जबकि उसके परिचालन लाभ में 28 फीसदी की उछाल दर्ज की है।
नुवामा रिसर्च को उम्मीद है कि मार्जिन पर दबाव रहेगा क्योंकि चीन की आक्रामक कीमतें जारी हैं। लेकिन ब्रोकरेज का मानना है कि कमोडिटी केमिकल श्रेणी पर सबसे ज्यादा असर होगा।
विशेषीकृत उत्पाद बनाने वाली, कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च ऐंड मैन्युफैक्चरिंग या स्पेशियल्टी केमिकल्स उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को मार्जिन के मोर्चे पर फायदा होगा।
ब्रोकरेज ने उपभोक्ता कारोबार, पर्सनल केयर या विशेषीकृत उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के शेयर खरीदने की सलाह दी है, जो प्राथमिक तौर पर देसी बाजारों की मांग पूरी करती है मसलन गैलेक्सी सरफेक्टेंट्स। साथ ही ब्रोकरेज गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स पर भी सकारात्मक है।