नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने शुक्रवार को ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड और सोनी कॉरपोरेशन के विलय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके खिलाफ अपील पर 8 जनवरी को सुनवाई पर सहमति जताई। ऐक्सिस फाइनैंस लिमिटेड और आईडीबीआई बैंक ने इस विलय को NCLAT में चुनौती दी है।
आईडीबीआई बैंक के वकील ने कहा कि ट्रिब्यूनल को इस विलय पर रोक लगानी चाहिए क्योंकि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज उस कर्ज के लिए गारंटर थी जो उसने एस्सेल की इकाई को दी थी। जब यह विलय हो जाएगा तो वे ज़ी एंटरटेनमेंट से यह कर्ज रिकवर नहीं कर पाएंगे।
इस बीच, ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने तर्क दिया कि न तो आईडीबीआई और न ही ऐक्सिस फाइनैंस के पास याचिका दाखिल करने का अधिकार है क्योंकि उनके पास कानून के तहत विलय को चुनौती देने की खातिर जरूरी लेंडिंग या शेयर कैपिटल नहीं हैं।
एनसीएलएटी ने कहा कि वे मामले के गुण को सुने बिना इस विलय पर रोक नहीं लगा सकते और इस मामले पर 8 जनवरी को सुनवाई पर सहमति जताई।
खबरों में कहा गया है कि ज़ी-सोनी विलय पर बातचीत पर गतिरोध पैदा हो गया था क्योंकि विलय के बाद बनने वाली इकाई में पुनीत गोयनका की नियुक्ति सीईओ के तौर पर करने की समयसीमा नजदीक आ रही है।
गोयनका ने स्पष्ट कर दिया है कि विलय तभी होगा जब वह कंपनी की अगुआई करेंगे जबकि सोनी गोयनका को गैर-कार्यकारी भूमिका लेने पर जोर दे रही है। रिपोर्ट में ये बातें कही गई है।
एनसीएलएटी ने 26 मई को एनसीएलटी के मुंबई पीठ के 11 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें एनएसई व बीएसई को ज़ी-सोनी के विलय के मामले में उनकी तरफ से दिए गए अनापत्ति प्रमाणपत्र की समीक्षा का निर्देश दिया गया था। अपील ट्रिब्यूनल ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर एनसीएलटी के आदेश पर रोक लगा दी थी।