इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने कहा है कि मुक्त बाजार और उद्यमिता पर आधारित पूंजीवाद ही भारत व किसी अन्य देश में गरीबी समाप्त करने का एकमात्र समाधान है। ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत संग बातचीत में नारायणमूर्ति ने ये बातें कही।
मूर्ति ने बेंगलूरु टेक समिट में बातचीत के दौरान कहा, सरकार को निष्पक्ष और पारदर्शी नियामक बन जाना चाहिए। उद्यमिता के मामले में उन्हें अहसास होना चाहिए कि वे पूंजीवाद को आगे बढ़ाने वाले हैं क्योंकि भारत में पूंजीवाद मोटे तौर पर काफी नया है।
उद्यमी के लिए मुक्त बाजार की मांग पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि अपने उद्यम के परिचालनके लिएउन्हें निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवावदेही लानी होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब वे फैसला लें तो कंपनी के निचले स्तर के कर्मचारी भी उनके फैसले से बेहतर स्थिति में पहुंचे।
मूर्ति ने कहा कि विभिन्न वर्षों में वह भ्रमित वामपंथी से वैसे पूंजीवादी बने जहां कमाई ज्यादा हो, लोगों को भरपूर मदद मिले आदि। पूंजीवाद को आगे बढ़ाने की खातिर नागरिकों को उच्च स्तर की कराधान व्यवस्था के तहत कर चुकाना होगा और विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में ज्यादा कराधान होना चाहिए।
मूर्ति ने सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की है और इसे सही दिसा में उठाया गया कदम बताया है। समय की जरूरत यह है कि बच्चों का दिमाग स्वतंत्र रूप से सोच सके, सक्रियता से सुने और कक्षा में हमारे इर्दगिर्द की समस्या को लेकर उसने क्या सीखा और उसके समाधान के बारे में सोचे।
मूर्ति ने कहा कि बेंगलूरु देश की तकनीकी राजधानी है, जो 75 अरब डॉलर के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में करीब 35-37 फीसदी का योगदान करता है। हालांकि इस शहर को और आकर्षित बनाने के लिए राज्य को अंग्रेजी माध्यम के और स्कूल खोलने के लिए सुविधा देनी चाहिए। समान रूप से यहभी जरूरी है कि शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार हो। उन्होंने त्वरित फैसले लेने के मामले में चीन का उदाहरण सामने रखा।