उस समय अच्छी खासी खरीदारी की दिलचस्पी नजर आई जब बेंचमार्क नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 (Nifty-50) गुरुवार को थोड़े समय के लिए 19,500 के नीचे फिसल गया। बाजार के प्रतिभागियों का अब मानना है कि शॉर्ट टर्म का रुख तय करने के लिहाज से यह अहम स्तर हो सकता है।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंदर सिंह नंदा ने कहा, जिस अहम स्तर पर नजर रखने की जरूरत है वह है 19,500, जो अच्छे खासे मांग वाले जोन का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्तर ज्यादा खरीदारों को आकर्षित कर सकता है, जो इसे 20,000 तक बढ़त की संभावना के साथ बाजार में प्रवेश के मौके के दौर पर देखते हैं। 19,500 के नीचे मंदी का संकेत हो सकता है और यह 19,000-18,800 तक नीचे उतर सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के बीच बाजार विदेशी फंडों की तरफ से बिकवाली का सामना कर रहा है।
एलऐंडटी की पुनर्खरीद : खुदरा निवेशकों के हाथ से फिसला मौका
एलऐंडटी की 10,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद खुदरा निवेशकों के लिए गंवाया गया मौका साबित हुआ है। कंपनी की तरफ से पेश आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा निवेशकों ने सिर्फ 32.2 लाख शेयर टेंडर किए जबकि 3.12 करोड़ शेयरों के पुनर्खरीद कार्यक्रम में करीब 47 लाख शेयर उनके लिए आरक्षित थे। इसके परिणामस्वरूप खुदरा निवेशकों के लिए स्वीकार्यता अनुपात 100 फीसदी रहा, जो पुनर्खरीद में शायद ही देखने को मिलता है।
दिलचस्प रूप से शेयरों में काफी इजाफे के बीच एलऐंडटी ने पुनर्खरीद की कीमत एक्स-डेट से एक दिन पहले 3,000 रुपये से बढ़ाकर 3,200 रुपये कर दी थी। एलऐंडटी के शेयर का आखिरी बंद भाव 3,022 रुपये है।
ब्रोकरों के ऑडिट को लेकर स्टॉक एक्सचेंजों की सख्ती
स्टॉक ब्रोकरों के आंतरिक अंकेक्षण को मजबूत बनाने के लिए एक्सचेंजों ने कुछ अनिवार्यताएं सामने रखी है। अर्धवार्षिक आधार पर 31 मार्च, 2024 से प्रभावी होने वाले संशोधित नियमों के तहत अनुभवी व पूर्णकालिक अंकेक्षक कर्मियों पर जोर दिया गया है। अभी तक पांच वर्ष के अनुभव के साथ महज एक साझेदार रखने वाली ऑडिटर फर्म इसके लिए पात्र थी।
आने वाले समय में फर्म को पांच साल का अनुभव और हर समय कम से कम दो साझेदार बनाए रखने की दरकार होगी। क्वालिफाइड स्टॉक ब्रोकरों के लिए हर समय कम से कम पांच साझेदार वाली ऑडिटर फर्म की अतिरिक्त दरकार होगी।