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Interview: शेयरों की खरीद का विचार है बेहतर-मार्क मैथ्यूज

चंद्रयान-2 मिशन और नई दिल्ली में हुए जी-20 के सम्मेलन ने विकल्प की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए भारत को सुर्खियों में ला दिया है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- September 17, 2023 | 10:57 PM IST

भारतीय बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty) पिछले हफ्ते 20,000 के पार निकल गया, साथ ही स्मॉल व मिडकैप लगातार बढ़ोतरी दर्ज कर रहे हैं।

जूलियस बेयर के शोध प्रमुख (एशिया) मार्क मैथ्यूज ने पुनीत वाधवा को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में बताया कि कैसे चंद्रयान-2 मिशन और नई दिल्ली में हुए जी-20 के सम्मेलन ने विकल्प की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए भारत को सुर्खियों में ला दिया है। उनका सुझाव है कि चीन अब उनके लिए आकर्षक विकल्प नहीं रहा। मुख्य अंश…

-अगले छह महीने में आप वैश्विक इक्विटी का रुख कैसा देखते हैं?

अमेरिकी शेयर जून से ही तेजी के बाजार में हैं जब एसऐंडपी 500 अक्टूबर 2022 के अपने निचले स्तर से 20 फीसदी ऊपर आ गया था। जब हम पिछले 100 वर्षों के तेजी के बाजार को परखते हैं तो उनमें से तीन चौथाई का रिटर्न 30 फीसदी से ज्यादा रहा है। ऐसे में इस बात की अच्छी संभावना है कि आगे और रिटर्न मिलेगा। शेयरों की खरीदारी अच्छे विचार की तरह है।

-आपका ज्यादा झुकाव उभरते बाजारों या विकसित बाजारों की ओर है?

हम विकसित बनाम उभरते बाजारों के लिहाज से बाजारों को वर्गीकृत नहीं करते, हम वैयक्तिक बाजारों को उनकी अदभुत विशेषता के साथ परीक्षण करते हैं। हमारी राय में अमेरिकी बाजार सबसे अच्छा है क्योंकि इक्विटी पर उसका रिटर्न ऊंचा है। हमारी सिफारिश वाले अन्य बाजार हैं भारत, स्विटजरलैंड, स्वीडन और जापान।

-आप वैश्विक केंद्रीय बैंकों के संतुलित रुख की उम्मीद कब कर रहे हैं?

अमेरिका की अगुआई में दुनिया भर में दरों में बढ़ोतरी का दौर खत्म हो रहा है, जहां हमारा मानना है कि दरों में बढ़ोतरी का पिछला चक्र जुलाई में नजर आया था। कुछ छोटे केंद्रीय बैंकों ने दरों में कटौती शुरू कर दी है, वहीं अन्य ने ऐलान किया है कि उन्होंने ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है। हमारा अनुमान है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगले साल मई में पहली दर कटौती करेगा, जिसके बाद अगली कटौती सितंबर में और फिर दो और कटौती जनवरी व जून 2025 में होगी। ऐसे में दरें अंतत: 4.25 फीसदी पर आ जाएंगी।

10 वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड का रिटर्न 2021 व 2022 में नकारात्मक रहा था और इस साल अब तक स्थिर रहा है। अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो अमेरिकी सरकारी बॉन्ड का नकारात्मक रिटर्न लगातार तीन वर्षों में कभी नहीं रहा। ऐसे में अब बॉन्ड की खरीदारी पर विचार करने का सही समय है मसलन अमेरिकी निवेश श्रेणी वाले कॉरपोरेट बॉन्ड, जिसका औसत रिटर्न 5.7 फीसदी है।

-विनिर्माण के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों के भारतीय इक्विटी में निवेश को लेकर बाजारों की उम्मीद चीन प्लस वन रणनीति पर है। क्या हम ज्यादा आशावादी हो गए हैं?

सामान्य तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पीछा करता है। भारत के पास दुनिया भर की सबसे बड़ी युवा और वृद्धि दर्ज करने वाली समृद्ध आबादी है। विनिर्माण की खातिर भौतिक बुनियादी ढांचा स्थापित हो चुका है, जो एक दशक पहले अस्तित्व में नहीं था। शुरुआती कंपनियों जैसे मारुति पहले ही साबित कर चुकी है कि भारत में विनिर्माण का मतलब बनता है।

हालांकि अब मैं एफआईआई को उतनी अहमियत नहीं देता, जो एक दशक पहले देता था क्योंकि तब से देसी फंड निवेश काफी बढ़ा है और देसी फंड का बड़े हिस्से की प्रकृति सिस्टमैटिक (रिटायरमेंट के लिए) है। अन्य बाजार मसलन ऑस्ट्रेलिया में देसी फंड एसआईपी के जरिये लगातार इक्विटी खरीद रहे हैं और यह बताता है कि विदेशी फंडों की अस्थिरता के लिए यह कितना मजबूत सहारा है।

-तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय इक्विटी की तेजी के लिए कितना बड़ा खतरा है?

तेल की कीमतों में मजबूती के लिए सऊदी अरब व रूस तेल का उत्पादन हालांकि घटा रहे हैं पर वे समझते हैं कि तेल की ऊंची कीमतें मांग पर असर डाल सकती है और एक बार फिर कीमतें घट सकती हैं। तेल की अत्यधिक ऊंची कीमतों के लेकर वे असहज हैं। अन्य तेल उत्पादक देशों ने अपना उत्पादन अपरिवर्तित रखा है। ऐसे में उत्पादन में हुई कटौती बहुत ज्यादा समय तक नहीं रहेगी।

इस बीच, यूरोप व चीन मंदी का सामना कर रहे हैं और दुनिया भर में तेल की इन्वेंट्री काफी ज्यादा है। हम तेल की कीमतें ऊपर जाने की काफी कम वजह पाते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पिछली बार करीब 80 डॉलर प्रति बैरल पर तेल ने अहम अवरोध पैदा किया था। हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल तेल 75 डॉलर प्रति बैरल पर लौट आएगा।

संभावित जोखिम हमेशा होते हैं, पर अभी तेल उनमें से एक नहीं है। चंद्रयान-2 मिशन और नई दिल्ली में आयोजित हालिया जी-20 सम्मेलन ने भारत को विकल्प की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए सुर्खियों में ला दिया है और चीन अब उनके लिए उपयुक्त विकल्प नहीं रहा।

-अगले तीन से छह महीने में स्मॉल व मिडकैप का आउटलुक कैसा रहेगा?

स्मॉल व मिडकैुप का प्रदर्शन तेजी वाले परिपक्व बाजारों में मोटे तौर पर उम्दा रहता है।

-2023-24 में निवेश रणनीति क्या रही है? क्या ओवरवेट व अंडरवेट वाले क्षेत्र हैं?

हमें वित्तीय क्षेत्र, मैटीरियल व चुनिंदा उपभोक्ता शेयर पसंद हैं लेकिन हम क्षेत्र की बजाय उन कंपनियों के चयन को प्राथमिकता देते हैं जिसकी आय अगले पांच साल में दोगुनी होने का अनुमान हो, चाहे उसका परिचालन किसी भी उद्योग में हो रहा हो।

First Published : September 17, 2023 | 10:54 PM IST