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इमर्जिंग मार्केट बास्केट में भारत का वजन बढ़ा

ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक अब तक के सर्वोच्च स्तर 16.3 फीसदी पर पहुंच जाएगा और शेयरों की संख्या बढ़कर 131 हो जाएगी।

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समी मोडक   
Last Updated- November 16, 2023 | 11:09 PM IST

हाल के वर्षों में उभरते बाजारों के बास्केट (शेयरों) में भारतीय इक्विटी बाजार को खासी बढ़त हासिल हुई है। साल 2018 से एमएससीआई ईएम इंडेक्स (जिसे करीब 500 अरब डॉलर की परिसंपत्ति वाले पैसिव फंड ट्रैक करते हैं) में भारत का भारांक दोगुना हो गया है, वहीं देसी शेयरों की संख्या करीब 70 फीसदी बढ़ी है।

इस महीने के आखिर से प्रभावी होने वाले एमएससीआई पुनर्संतुलन के बाद ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक अब तक के सर्वोच्च स्तर 16.3 फीसदी पर पहुंच जाएगा और शेयरों की संख्या बढ़कर 131 हो जाएगी। साल 2018 में भारत का भारांक 8.2 फीसदी था जबकि इंडेक्स में शेयरों की संख्या 78 थी। यह जानकारी आईआईएफएल ऑल्टरनेटिव रिसर्च के आंकड़ों से मिली।

आईआईएफएल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीराम वेलायुधन ने कहा कि विभिन्न वर्षों में भारांक में हुए इजाफे की कई वजहें हैं। मात्रात्मक मोर्चे पर बड़े फ्री-फ्लोट मार्केट कैप वाली भारतीय कंपनियां इस इंडेक्स से जुड़ी हैं, जिनकी संख्या में इजाफा हुआ है।

गुणवत्ता के लिहाज से हालांकि भारत विभिन्न उद्योगों में ताइवान के मुकाबले बेहतर विविधता की पेशकश करता है जबकि ताइवान में सेमीकंडक्टर सेक्टर का ज्यादा संकेंद्रण है। चीन के कमजोर प्रदर्शन और भारत की स्थिर वृद्धि व अनुकूल जनसंख्या व उसकी विशिष्टता ने भी इंडेक्स में ज्यादा भारांक हासिल करने में मदद की है।

व्यापक तौर पर ट्रैक किए जाने वाले वैश्विक इंडेक्स में ज्यादा प्रतिनिधित्व से कई घरेलू शेयरों में ज्यादा विदेशी निवेश हासिल करने में मदद मिलेगी।

नुवामा ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया ने कहा कि भारत का भारांक दोगुना होना उल्लेखनीय कामयाबी है और इसके पीछे कई कारक मसलन साल 2020 में विदेशी स्वामित्व की सीमा में इजाफा, व्यापक बाजारों में काफी तेजी और अन्य बाजारों, मुख्य रूप से चीन, के मुकाबले अपेक्षाकृत उम्दा प्रदर्शन है।

पगारिया ने कहा कि देसी व विदेशी प्रतिभागियों के स्थिर निवेश की बदौलत भारत में एमएससीआई ईएम इंडेक्स में अपनी हिस्सेदारी साल 2024 तक 20 फीसदी के पार ले जाने की क्षमता है।

मोटे तौर पर भारत आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को दो भागों में बांटा जा सकता है – पैसिव (ईटीएफ के जरिये) और पैसिव (गैर-ईटीएफ)। इंडेक्स फंडों के जरिये निवेश की बढ़ती प्रवृत्ति के बीच विभिन्न वर्षों में ईटीएफ ने ज्यादा लोकप्रियता हासिल की है।

उदाहरण के लिए सूचीबद्ध वैश्विक फंडों ने सितंबर में भारतीय इक्विटी बाजारों में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे माह के दौरान हुई कुल निकासी को 50 करोड़ डॉलर के स्तर पर लाने में मदद मिली। एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है और दोनों के बीच पिछले कुछ वर्षों में अंतर कम हुआ है।

ऐक्सिस म्युचुअल फंड के नोट में कहा गया है कि एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक साल 2013 के 6.4 फीसदी से बढ़ा है जबकि तब चीन का भारांक 42.5 फीसदी था। अब चीन का भारांक 29.55 फीसदी रह गया है।

ऐक्सिस एमएफ के नोट में कहा गया है कि वर्षों तक क्षेत्रीय बेंचमार्क सूचकांकों में भारत का प्रतिनिधित्व काफी कम था। लेकिन यह धीरे-धीरे बदल रहा है और भारतीय कंपनियों की वृद्धि के जरिये भारत ने लंबा रास्ता तय किया है।

First Published : November 16, 2023 | 10:25 PM IST