भारत और ब्रिटेन (India-Britain FTA) के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते पर इस महीने के अंत तक हस्ताक्षर होने की उम्मीद कम ही है। ब्रिटेन के अखबार फाइनैंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक दोनों पक्ष बाजार में प्रवेश खास तौर पर सेवा क्षेत्र के मसलों पर मतभेद अभी तक दूर नहीं कर पाए हैं।
पहले यह करार पिछले साल दीवाली में होना था लेकिन उस समय भी बात नहीं बन पाई। अब दोनों देशों में अगले साल आम चुनाव होने हैं। इसलिए व्यापार समझौते के लिए बहुत कम समय बचा है।
खबर के मुताबिक ब्रिटेन की विधि एवं लेखा फर्मों सहित पेशवर सेवाओं को भारतीय बाजार में इजाजत देने के मामले में अधिक प्रगति नहीं हुई है। इसलिए भी समझौते में देर हो रही है।
अखबार ने ब्रिटेन के अधिकारियों के हवाले से लिखा है, ‘कुछ (सेवा) क्षेत्रों को ऐसा कुछ नहीं मिला, जिसकी उम्मीद थी और वार्ताकार साफ मानते हैं कि इस समझौते से तस्वीर नहीं बदलने वाली। समझौते के मसौदे में विधि सेवाओं के लिए कुछ भी नया या क्रांतिकारी नहीं है।’
यह खबर तबआई है, जब उम्मीद की जा रही थी कि इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की मौजूदगी में नई दिल्ली में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
भारत-इंगलैंड क्रिकेट मैच देख सकते हैं ऋषि सुनक
चर्चा यह भी थी कि भारत यात्रा के दौरान सुनक लखनऊ में होने वाला भारत-इंगलैंड क्रिकेट मैच (ENG vs IND) देखने भी जा सकते हैं। मगर इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवाल पर कहा, ‘ब्रिटेन और भारत महत्त्वाकांक्षी व्यापार समझौते के लिए लगातार काम कर रहा है। हमारा रुख स्पष्ट है कि हम केवल उस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जो निष्पक्ष, संतुलित और ब्रिटेन के लोगों एवं अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में होगा।’
दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम दौर में
फिलहाल दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम दौर में है और दोनों पक्ष मतभेद दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले हफ्ते वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा था कि बातचीत आगे बढ़ चुकी है।
ब्रिटेन इस समझौते के तहत भारतीय बाजार में दूरसंचार, विधि और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में ज्यादा मौके तलाश रहा है। इधर भारत अपने कुशल कामगारों के लिए उदार प्रवासी नीति की मांग पर जोर दे रहा है।
ब्रिटेन की व्हिस्की और वाहनों पर शुल्क कम करने की भी मांग
ब्रिटेन व्हिस्की और वाहनों पर शुल्क कम करने की मांग भी कर रहा है। दोनों के बीच उत्पाद के मूल उत्पादन स्थल और बौद्धिक संपदा अधिकार आदि पर भी मतभेद है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, ‘हमने डिजिटल ट्रेड, श्रम जैसे ज्यादातर गैर-व्यापारिक मुद्दे सुलझा लिए हैं। मुख्य चुनौती वस्तु एवं सेवा कर के मोर्चे पर है।’
अगस्त में ब्रिटेन की कारोबार एवं व्यापार मंत्री केमी बेडनॉक ने कहा था कि वह भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ काम कर रही हैं ताकि दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी समझौता हो सके।