भारतीय ऋणदाता कई प्रमुख दिवाला खातों के समाधान के लिए मार्च अंत तक की समयसीमा को चूकने वाले हैं, जिनमें रिलायंस कैपिटल (आरकैप) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज भी शामिल हैं। इसके नतीजतन एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का पैसा फंस रहा है। बैंक मार्च के अंत तक पूरी प्रक्रिया समाप्त करने का लक्ष्य बना रहे थे ताकि वे इन खातों का समाधान कर सकें।
बिना समाधान वाले अन्य खातों में फ्यूचर रिटेल, लैंको अमरकंटक, रिलायंस ब्रॉडकास्ट और श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस शामिल हैं।
एक बैंकर ने कहा ‘हालांकि कुछ मामलों में अधिक बोली लगाने वालों की पहचान की जा चुकी है, लेकिन मुकदमेबाजी की वजह से मार्च में मामला निपटाना मुश्किल होगा।’
बोली राशि का भुगतान करने वाले सबसे बड़े बोलीदाता के साथ कोई खाता तय हो जाने पर, उस खाते में बैंक के अवरुद्ध धन का हिस्सा मुक्त कर दिया जाता है और उसका इस्तेमाल उधार देने के मसद के लिए किया जा सकता है।
ऋणदाताओं ने कहा कि वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खाते के मामले में वेदांत समूह की प्रवर्तक कंपनी ट्विन स्टार हॉल्डिंग के पास समाधान का 63,000 करोड़ रुपये का दावा लंबित है, जिसने 3,000 करोड़ रुपये की अधिकतम बोली लगाई है।
यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) द्वारा उसकी पेशकश पर रोक लगाए जाने के खिलाफ कंपनी ने याचिका लगाई थी। मामला जनवरी 2022 से शीर्ष अदालत में लंबित है।
रिलायंस कैपिटल खाते के मामले में ऋणदाता दूसरी नीलामी के लिए एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ टॉरंट समूह द्वारा दायर याचिका पर फैसले का इंतजार कर रहे हैं। पहली नीलामी में टॉरंट 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी। ऋणदाता मुंबई में आरकॉम की भू-संपदा भी बेचना चाह रहे हैं।