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सुखद और लाभदायक है श्रीलंका के साथ जुड़ाव

2022 में करीब 1.23 लाख भारतीय पर्यटक श्रीलंका गए जबकि इस वर्ष सितंबर तक दो लाख से अधिक भारतीय वहां पहुंचे।

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श्याम सरन   
Last Updated- October 25, 2023 | 12:09 AM IST

श्रीलंका में भारत का कद बढ़ा है और पड़ोसी देश चीन बीते एक दशक के विस्तारवाद से पीछे हटता नजर आ रहा है। बता रहे हैं श्याम सरन

हाल ही में श्रीलंका की यात्रा ने यह अवसर प्रदान किया कि उसके आर्थिक संकट की गंभीरता, उसकी सुधार प्रक्रिया की शक्ति और भविष्य के परिदृश्य का आकलन किया जाए।

भारत ने श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने योग्य बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इस तरह उसने दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा रिश्तों के विस्तार के अवसर भी तैयार किए हैं। इससे भारत के प्रति वहां की जनता के मानस में भी सुधार हुआ है।

श्रीलंका अब तक हालिया आर्थिक संकट से उबर नहीं पाया है। उसकी अर्थव्यवस्था 2022 में आठ फीसदी गिरी और इस वर्ष भी यह सिलसिला जारी रहेगा। हालांकि इस बार गिरावट की दर 3.5-4 फीसदी ही रहेगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पैकेज के तहत उसे 33 करोड़ डॉलर की पहली किस्त दे दी गई। कम से कम कोलंबो में खाने, ईंधन या अन्य जरूरी वस्तुओं की कोई कमी महसूस नहीं हो रही है लेकिन समाज के गरीब तबके की पहुंच से बाहर जरूर हैं क्योंकि उनकी आय घटी है जबकि महंगाई बढ़ी है।

बेरोजगारी में इजाफा हुआ है और बीते तीन सालों में 5 लाख रोजगार खत्म हुए हैं। आईएमएफ के पैकेज में सब्सिडी खत्म करना भी शामिल है जिसने कम आय वाले लोगों पर बुरा असर डाला है। एक अनुमान के मुताबिक संकट शुरू होने के बाद से 40 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे जा चुके हैं। यह 2.1 करोड़ की आबादी वाले देश का बड़ा हिस्सा है।

आईएमएफ का ऋण जहां कुछ राहत लाया है, वहीं अर्थव्यवस्था में सुधार जरूरी है ताकि वह कर्ज को निपटा सके। इस बीच निजी ऋणदाताओं के ऋण में कुछ कटौती तथा अन्य कर्ज के पुनर्गठन पर सहमति बनी है। आईएमएफ के पैकेज में कई शर्तें शामिल हैं और यह आबादी के वंचित वर्ग को और अधिक मुश्किलों में डालेगा।

भारत ने बीते दो वर्षों में समय पर श्रीलंका को अहम मदद मुहैया कराई है। उसने 2022 में कुल चार अरब डॉलर मूल्य की सहायता की। पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति के लिए 50 करोड़ डॉलर का ऋण दिया गया जिससे वहां ईंधन की भारी कमी दूर हो सकी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के साथ 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा की अदला-बदली की। इसके अलावा एक अरब डॉलर मूल्य का ऋण दिया गया ताकि वहां भोजन, औषधि, ईंधन और औद्योगिक कच्चे माल की जरूरत पूरी की जा सके।

भारत ने एशियन क्लियरिंग यूनियन के तहत बकाया दो अरब डॉलर के भुगतान को भी लंबित करने पर सहमति जताई। कृषि उत्पादन में सुधार के लिए पांच करोड़ डॉलर का ऋण दिया गया ताकि भारत से उर्वरक खरीदे जा सकें। इसके अलावा कई उदार राहत पैकेज भी दिए गए जबकि चीन संकट के समय में श्रीलंका की मदद के लिए इच्छुक नजर नहीं आया।

भारत ने श्रीलंका में हाल के वर्षों में चीन के हाथों जो कुछ गंवाया था उसे काफी हद तक वापस पा लिया। वर्ष 2000 में श्रीलंका दक्षिण एशिया का पहला देश था जिसके साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौता किया था।

दोनों देशों का द्विपक्षीय कारोबार 60 करोड़ डॉलर से बढ़कर 6.2 अरब डॉलर हो चुका है। इस समझौते की सफलता ने कहीं अधिक महत्त्वाकांक्षी आर्थिक और प्रौद्योगिकी समझौते की राह आसान हुई। हालांकि इसे अंजाम नहीं दिया जा सका क्योंकि ऐसे राजनीतिक और कारोबारी समूह इसके विरोध में हैं जिन्हें भय है कि भारत श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर दबदबा कायम कर लेगा।

चाहे जो भी हो पांच वर्ष के अंतराल के बाद गत वर्ष प्रस्तावित समझौते पर वार्ता दोबारा आरंभ हुई। अनुमान है कि बदले हुए द्विपक्षीय रिश्तों के बीच इस बार समझौता पूरा हो जाएगा।

2022 में करीब 1.23 लाख भारतीय पर्यटक श्रीलंका गए

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका रही है और कोविड महामारी और उसके बाद राजनीतिक अशांति ने इसे बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। परंतु पर्यटन में स्थिर गति से सुधार हो रहा है। इसमें भारतीय पर्यटक सबसे आगे हैं।

2022 में करीब 1.23 लाख भारतीय पर्यटक श्रीलंका गए जबकि इस वर्ष सितंबर तक दो लाख से अधिक भारतीय वहां पहुंचे। हाल ही में उत्तरी श्रीलंका के कनकेसनतुरई और तमिलनाडु के नागपत्तनम के बीच फेरी सेवा की शुरुआत होने से इसमें और इजाफा होगा।

दोनों देश कई वर्षों से अन्य संपर्कों के बारे में विचार कर रहे हैं। इसमें पावर ग्रिड संपर्क और पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन शामिल हैं। श्रीलंका के मन्नार और तमिलनाडु के मदुरै शहरों के बीच बिजली पारेषण लाइन बिछाने की घोषणा हो चुकी है।

भारत से आने वाली वस्तुओं और भारत जाने वाले माल के लिए कोलंबो सबसे महत्त्वपूर्ण बंदरगाह है। फिलहाल कोलंबो बंदरगाह से निकलने वाले माल में 60 फीसदी भारत से संबंधित है। हालांकि भारत खुद कई बंदरगाहों को ट्रांसशिपमेंट केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है।

अनुमान है कि मालवहन में इजाफा होने के बाद भी कोलंबो का इस्तेमाल ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह के रूप करने की आवश्यकता होगी। अदाणी समूह से वित्तीय सहायता प्राप्त केरल का विझिंजम बंदरगाह हाल ही में शुरू हुआ है जबकि समूह कोलंबो में एक बड़ा कंटेनर टर्मिनल बना रहा है।

अदाणी समूह निर्माणाधीन वेस्टर्न कंटेनर टर्मिनल में बहुलांश हिस्सेदार है जो अगले वर्ष पहले चरण का परिचालन आरंभ करेगा। इसकी वार्षिक क्षमता 5.65 ट्वेंटी फुट इक्विवैलेंट यूनिट (टीईयू) है। कोलंबो इंटरनैशनल कंटेनर टर्मिनल में 85 फीसदी स्वामित्व चाइन मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स का है जो चीन की सरकारी कंपनी है। इसका रोज का टर्नओवर 24,000 टीईयू है जिसमें 65 फीसदी भारत से संबंधित है।

कोलंबो में बेहतरीन बंदरगाह सुविधाएं हैं और एक बार नियोजित विस्तार और उन्नयन हो जाने के बाद यह इस क्षेत्र और पूरी दुनिया के सर्वाधिक आधुनिक और किफायती बंदरगाहों में से एक हो जाएगा। बंदरगाह कारोबार कुछ हद तक शेष अर्थव्यवस्था से अलग नजर आया और उसमें वृद्धि होती रही। ऐसा इसलिए हुआ कि भारत से जुड़े माल का कारोबार बढ़ता रहा।

भारत श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। आईटीसी कोलंबो में एक ऊंचा बहुउद्देश्यीय स्काईस्क्रैपर बना रही है जहां शहर के बीचोबीच होटल, आवासीय अपार्टमेंट और वाणिज्यिक केंद्र की सुविधा होगी। इंडियन ऑयल भी त्रिंकोमाली में एक पेट्रोकेमिकल परिसर बना रही है। वहां उसने पहले ही दूसरे विश्वयुद्ध के दौर के ऑयल टैंक फार्म का प्रबंधन शुरू कर दिया है।

श्रीलंका अभी भी आर्थिक संकट की चपेट में है लेकिन वह सुधार की राह पर नजर आ रहा है। वहीं श्रीलंका में भारत का कद बढ़ा है। चीन बीते एक दशक के विस्तारवाद से पीछे हटता नजर आ रहा है। भारत को यह सिलसिला जारी रखना चाहिए।

(लेखक पूर्व विदेश सचिव और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो हैं)

First Published : October 25, 2023 | 12:09 AM IST