इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ बढ़ाने के इरादे से सरकार देश भर में उनकी फास्ट चार्जिंग के लिए सब्सिडी देने जा रही है। इसमें इलेक्ट्रिक पब्लिक फास्ट चार्जिंग स्टेशन के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे पर 80 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी और कुछ मामलों में यह 100 फीसदी तक होगी। यह सब्सिडी 2,000 करोड़ रुपये की पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ईड्राइव) योजना के तहत प्रदान की जाएगी, जिसे इलेक्ट्रिक वाहनों की फेम योजना की जगह शुरू किया गया है।
भारी उद्योग मंत्रालय ने दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया है, जिसके मुताबिक इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए 48,400 फास्ट चार्जर को सब्सिडी दी जाएगी। इसके लिए 581 करोड़ रुपये तय किए गए हैं। इसी तरह ई-कारों के लिए 21,000 फास्ट चार्जिंग स्टेशनों (1,061 करोड़ रुपये आवंटित) और ई-बस तथा ई-ट्रक के लिए 1,800 फास्ट चार्जिंग स्टेशनों (346 करोड़ रुपये निर्धारित) को सब्सिडी दी जाएगी। इस तरह कुल 72,300 फास्ट चार्जिंग स्टेशनों के लिए सब्सिडी मिलेगी।
इस योजना के तहत भारी उद्योग मंत्रालय ठेका मिलने के बाद 30 फीसदी सब्सिडी राशि दे देगा। 40 फीसदी रकम इलेक्ट्रिक फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित होने के बाद दी जाएगी और बाकी रकम तब मिलेगी, जब चार्जिंग स्टेशन वाहनों को चार्ज करने का काम सफलता के साथ करने लगेगा।
मसौदे में न्यूनतम चार्जिंग क्षमता भी तय की गई है। इलेक्ट्रिक दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों के लिए कम से कम 12 किलोवॉट चार्जिंग क्षमता होनी चाहिए, जिस पर कम से कम 1.5 लाख रुपये की लागत आए। ई-कारों के लिए कम से कम 6 लाख रुपये की लागत के साथ न्यूनतम 60 किलोवॉट और ई-बसों के लिए न्यूनतम 24 लाख रुपये लागत के साथ कम से कम 240 किलोवॉट चार्जिंग क्षमता होनी चाहिए।
मंत्रालय ने ई-वाहनों की ज्यादा हिस्सेदारी वाले 40 शहर भी पहचान लिए हैं, जिन्हें चार्जिंग ढांचे के मामले में प्राथमिकता दी जाएगी। इनमें कुल ई-कारों में 14.6 फीसदी हिस्सेदारी वाला दिल्ली सबसे ऊपर है। उसके बाद बेंगलूरु (12.2 फीसदी), मुंबई (9.5 फीसदी), हैदराबाद (7.4 फीसदी) और 5.2 फीसदी हिस्सेदारी वाला पुणे है। इनके अलावा लुधियाना, जोधपुर एवं उदयपुर जैसे शहर भी इस सूची में शामिल हैं।
इलेक्ट्रिक बसों की आवाजाही के लिए 40 राजमार्ग गलियारे और इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए 20 राजमार्ग गलियारे भी चिह्नित किए गए हैं, जिन्हें चार्जिंग ढांचा स्थापित करते समय तरजीह दी जाएगी। इनमें ई-बसों के लिए हैदराबाद से विजयवाड़ा तक 270 किलोमीटर, पुणे से कोल्हापुर तक 230 किलोमीटर, दिल्ली से चंडीगढ़ तक 240 किलोमीटर, दिल्ली एवं आगरा के बीच 240 किलोमीटर और दिल्ली से लखनऊ तक 554 किलोमीटर दूरी वाले गलियारे शामिल हैं। ई-ट्रकों के लिए दिल्ली-चंडीगढ़, जयपुर-दिल्ली, गोरखपुर-लखनऊ, विजयवाड़ा-विशाखापत्तनम राजमार्ग पहचाने गए हैं।
इस योजना के तहत विभिन्न शहरों और राजमार्गों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन की मांग का हिसाब लगाने के लिए राज्यों और केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों (जैसे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, रेल मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय आदि) को न्योता दिया जाएगा।
मंत्रालय अपने नियंत्रण में आने वाले संगठनों के जरिये इस काम को अंजाम देंगे। राज्य चार्जिंग स्टेशनों की कुल मांग का पता करने के लिए नोडल एजेंसी बनाएंगी और ये प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए भारी उद्योग मंत्रालय के पास भेजे जाएंगे।
मंजूरी मिलने के बाद राज्य जमीन पहचानने और पाने में मदद करेंगे और चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिये चार्जिंग पॉइंट ऑपरेटर चुने जाएंगे। वे चार्जिंग स्टेशन चलाने के लिए तकनीकी कौशल भी लाएंगे, जिसके लिए मंत्रालय की मंजूरी जरूरी होगी। इस योजना के तहत पात्रता के लिए चार्जरों को चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत ही बनाना होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय ने इस कार्यक्रम पर अमल करने के लिए व्यापक योजना भी तैयार की है। इसके मुताबिक योजना को मंजूरी मिलने के 16 हफ्तों के भीतर निविदा जारी कर दी जाएंगी, 26 हफ्तों में बोली की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, 28 हफ्तों में प्रोत्साहन की पहली किस्त जारी कर दी जाएगी और 52 हफ्तों के भीतर अंतिम किस्त भी जारी कर दी जाएगी बशर्ते चार्जिंग ढांचा व्यावसायिक रूप से काम करने लगे।