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DPDP नियम लागू होने के बाद बढ़ेगी सहमति प्रबंधकों की मांग और भूमिका

भारत में निगमित कंपनियों के लिए न्यूनतम 2 करोड़ रुपये की शुद्ध हैसियत के साथ सहमति प्रबंधक बनने के लिए आवेदन करने के लिए 12 महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है

Published by
आशीष आर्यन   
अजिंक्या कवाले   
Last Updated- November 14, 2025 | 10:52 PM IST

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के तहत हाल ही में अधिसूचित प्रशासनिक नियमों से उपयोगकर्ताओं की तरफ से काम करने वाले सहमति प्रबंधकों की मांग और भूमिका दोनों बढ़ सकती हैं। विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है।

शुक्रवार को अधिसूचित नियमों में भारत में निगमित कंपनियों के लिए न्यूनतम 2 करोड़ रुपये की शुद्ध हैसियत के साथ सहमति प्रबंधक बनने के लिए आवेदन करने के लिए 12 महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है। ऐसी कंपनियों को डेटा संरक्षण बोर्ड में स्वयं को पंजीकृत कराना होगा और समय-समय पर डीपीबी द्वारा निर्धारित दायित्वों को पूरा करना होगा।

सहमति प्रबंधक को उपयोगकर्ता द्वारा दी गई, अस्वीकृत या वापस ली गई सहमति के साथ-साथ व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के लिए सहमति के अनुरोध से पहले या उसके साथ डेटा न्यासी द्वारा भेजे गए नोटिस का रिकॉर्ड अपने प्लेटफॉर्म पर बनाए रखना होगा। ऐसे प्लेटफार्म को उपयोगकर्ताओं को हर समय अपने डेटा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ उन जानकारियों का रिकॉर्ड कम से कम सात वर्षों की अवधि के लिए या प्लेटफॉर्म और उपयोगकर्ता के बीच सहमति होने पर या कानून द्वारा आवश्यक होने पर अधिक विस्तारित अवधि के लिए रखना जरूरी होगा।

विधि कंपनी सराफ ऐंड पार्टनर्स में साझेदार एस नंदा ने कहा कि इन नियमों के कारण ऐसी सहमति प्रबंधन कंपनियों के साथ-साथ इंटरनेट और सोशल मीडिया मध्यस्थों के लिए व्यावसायिक संचालन में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव की जरूरत पेश आ सकती है। इसका कारण यह है कि उन्हें एक खास सहमति प्रबंधन प्लेटफार्म व्यवस्था शुरू करनी होगी जो सभी बिंदुओं पर सहमति मिलने की निगरानी रखते हैं।

First Published : November 14, 2025 | 10:37 PM IST