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रसोई गैस हुई महंगी तो चूल्हे में जलने लगी लकड़ी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:00 AM IST

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बगसरा गांव में पांच बेटियों की मां निशा एक बार फिर रसोई में उपले और लकड़ी फूंकने को मजबूर हैं। बढ़ई का काम करने वाले उनके पति की कमाई इतनी नहीं है कि निशा ररसोई गैस का सिलिंडर खरीद सकें। पिछले साल नवंबर से अब तक सिलिंडर इतना महंगा हो गया है कि घर में चूल्हे पर खाना बनने लगा है।
निशा को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत तीन साल पहले एलपीजी कनेक्शन मिला था। लेकिन सिलिंडर के दाम में लगातार बढ़ोतरी की वजह से अब वह उनकी पहुंच से बाहर हो गया है। निशा कहती हैं, ‘सिलिंडर अब हमारे लिए काफी महंगा हो गया है। परिवार में कई लोगों का खाना बनता है और महीने में कम से कम एक सिलिंडर तो लग ही जाता है। लेकिन महंगाई को देखते हुए हम रसोई गैस सिलिंडर नहीं भरवा सकते।’
एलपीजी को छोड़कर लकड़ी पर खाना बनाने वाली निशा अकेली नहीं हैं। दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर बगसरा में दिहाड़ी मजदूर और किसान रहते हैं। यहां के अधिकतर परिवार खाना पकाने के लिए फिर से लकड़ी और उपलों पर निर्भर हो गए हैं क्योंकि महंगा एलपीजी सिलिंडर भरवाना उनके वश के बाहर है।
14.2 किलोग्राम वजन वाला घरेलू रसोई गैस सिलिंडर 1 नवंबर, 2020 को 594 रुपये का था, जो इस साल 1 मार्च को 819 रुपये का हो चुका है। इसके दाम में करीब 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसकी सबसे बड़ी मार उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों पर पड़ी है।
बगसरा की एक और गृहिणी समीना ने कहा, ‘रसोई गैस बहुत महंगी हो गई है और हम उसका इस्तेमाल घर में मेहमान के आने पर चाय बनाने के लिए ही करते हैं। पिछले दो महीने से सिलिंडर नहीं भरवाया है। खाना फिर लकड़ी पर पकने लगा है क्योंकि वह मुफ्त में मिल जाती है।’ समीना को चार साल पहले उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था। ऐसे कई लोग हैं जिन्हें उज्ज्वला योजना के अंतर्गत रसोई गैस कनेक्शन मिला था लेकिन अब दाम बढऩे से वे गैस नहीं भरवा पा रहे हैं। इंडेन के ग्राहक नजीर ने बताया कि उसने भी दो महीने से सिलिंडर नहीं भरवाया है। बगसरा के मदन लाल के पास पिछले 15 साल से एचपी गैस के ग्राहक हैं लेकिन वह भी सिलिंडर के दाम बढऩे से परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘जब सिलिंडर का दाम 350 से 450 रुपये तक था तो यह हमारी पहुंच में था। लेकिन अब यह बहुत महंगा हो गया है और हम बहुत जरूरत होने पर ही इसे इस्तेमाल करते हैं। अगर यह सस्ता होता तो सब कुछ गैस पर ही बनाया जाता।’
आज कमोबेश हर किसी को रसोई गैस के फायदे पता हैं क्योंकि लकड़ी पर खाना बनाना मुश्किल होने के साथ ही सेहत के लिए नुकसानदेह भी है। लेकिन एलपीजी के महंगे दाम के कारण उन्हें मजबूरन फिर से लकड़ी-उपले पर खाना पकाना पड़ रहा है।
नजीर कहते हैं, ‘अब पूरा इलाका गहरे धुएं के आगोश में है क्योंकि कई घरों में खाना बनाने के लिए लकड़ी का चूल्हा ही इस्तेमाल हो रहा है।’ पेशे से किसान और पिछले चार वर्षों से रसोई गैस का इस्तेमाल कर रहे राकेश शर्मा कहते हैं, ‘डीजल और बिजली महंगी होने से किसानों को पहले ही दिक्कत हो रही है। हमारा जीवन बेहतर बनाने के लिए सरकार को कुछ कदम उठाने होंगे।’
जुलाई 2019 में सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडर की कीमत करीब 494.35 रुपये थी जो जुलाई 2020 में बढ़कर 594 रुपये हो गई। केंद्र ने उसके बाद प्रत्यक्ष नकद अंतरण के माध्यम से उपभोक्ताओं को वित्तीय समर्थन देना भी बंद कर दिया। जुलाई से नवंबर 2020 तक रसोई गैस सिलिंडरों का दाम 594 रुपये ही रहा।
अप्रैल 2020 में केंद्र ने उज्ज्वला योजना के आठ करोड़ लाभार्थियों में प्रत्येक को तीन नि:शुल्क रसोई गैस सिलिंडर देने की बात कही। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का ही हिस्सा था। तीनों सिलिंडरों के दाम उज्ज्वला लाभार्थियों के बैंक खातों में तीन किस्तों में भेजे गए, जिनसे वह बाजार से एलपीजी सिलिंडर खरीद सकते थे। इससे लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में देश में रसोई गैस की खपत बढ़ गई। फिलहाल सुदूर क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को आंशिक मदद दी जा रही है और केंद्र सिलिंडरों की ढुलाई के लिए माल भाड़े पर सब्सिडी दे रही है। मगर सब्सिडी 30 रुपये प्रति सिलिंडर से कम ही है।
दिल्ली से 140 किलोमीटर दूर डिबाई कस्बे में पकौडिय़ों और नमकीन की एक दुकान के मालिक ने कहा, ‘मैंने जो सिलिंडर बुक किया था, उसके लिए मुझे करीब 20 रुपये सब्सिडी मिली थी। यह नाकाफी है और अब केरोसिन की किल्लत के बाद महंगा रसोई गैस सिलिंडर खरीदने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रह गया है।’ केंद्र केरोसिन की आपूर्ति बंद कर रही है और उज्ज्वला योजना के जरिये रसोई गैस दे रही है। सीतारमण ने बजट 2021 के भाषण में 1 करोड़ अतिरिक्त नि:शुल्क रसोई गैस कनेक्शन देने की बात कही थी। यह पहला ऐसा बजट था जिसमें केरोसिन सब्सिडी के मद में कोई रकम नहीं दी गई थी। मगर रसोई गैस के दाम चढऩे से सरकार के लिए रसोई गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देना मुश्किल साबित हो सकता है। हालांकि सरकार नियंत्रित तेल विपणन कंपनियों का कहना है कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के बीच रसोई गैस की खपत बढ़ी है। इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम का कहना है कि दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के दौरान रसोई गैस की खपत लगातार बढ़ी है। इन कंपनियों के अनुसार उज्ज्वला और गैर-उज्ज्वला दोनों उपभोक्ताओं के बीच रसोई गैस की खपत 7.3 प्रतिशत बढ़ी है।

First Published : March 16, 2021 | 11:07 PM IST