भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जिस तरह से संस्थाओं की निगरानी करता है उसमें एक बड़ा बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सके लिए एक स्वचालित प्रणाली शुरू करने की प्रक्रिया जारी है जिससे इसकी पहुंच उन कंपनियों तक होगी जिनकी निगरानी आरबीआई करता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने बीएफएसआई इनसाइट समिट में दिए गए अपने संबोधन में इस बात का खुलासा किया कि शीर्ष बैंक अब कंपनियों के प्रबंधन के साथ जुड़ रहा है और इसको लेकर काफी तेजी से बातचीत हो रही है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई जल्द ही एक वेब आधारित और एंड-टू-एंड वर्कफ्लो स्वचालित प्रणाली लॉन्च करेगा जिसमें एक निगरानी, अनुपालन, साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने से लेकर इसमें समाधान वाली प्रणाली, प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) रिपोर्ट की क्षमता होगी।
केंद्रीय बैंक के लिए अपनी निगरानी क्षमता को मजबूत बनाना बेहद महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसे ज्यादा कंपनियों की निगरानी करनी होती है जो तकनीक का इस्तेमाल करती हैं और उनकी पूरी कार्यप्रणाली आरबीआई के नियमन से काफी अलग है। आरबीआई ने बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय तकनीक कंपनियों के अलावा लघु वित्त और पेमेंट बैंक के साथ प्रयोग किया है। इसने सहकारी बैंकों और आवास वित्त कंपनियों के नियमन पर भी नियंत्रण कर लिया है क्योंकि जमीनी स्तर पर इसको कवर करने की अधिक गुंजाइश नहीं है। इन स्वचालित प्रणालियों और कृत्रिम मेधा (एआई) वाली मशीनों के जरिये डेटा से छेड़छाड़ के मामले के विश्लेषण से आरबीआई की निगरानी प्रक्रिया को लेकर चिंता बढ़ी है और इसकी वजह से ऑफ लाइन निगरानी में भी तेजी आई है। केंद्रीय बैंक ने अपनी जांच में कई गुना वृद्धि की है विशेष रूप से पीएमसी बैंक संकट के बाद और कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दे और प्रमुख निजी बैंकों और एनबीएफसी द्वारा फंसे कर्जों की कम जानकारी दिए जाने के मामले का भी पर्दाफाश हुआ है।