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देसी सेरावैक टीका 400 रु. तक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:02 PM IST

स्वदेशी रूप से विकसित ह्यूमन- पैपिलोमावायरस (एचपीवी),   जिसे कैंसरकारी माना जाता है, के टीके सेरावैक की कीमत 200 से 400 रुपये प्रति खुराक के बीच होगी। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित यह टीका अगले कुछ महीनों में उपलब्ध होगा।
शुरुआती उत्पादन योजना के अनुसार इस टीके की 20 करोड़ खुराक तैयार की जानी है और एसआईआई सबसे पहले इसकी आपूर्ति भारत सरकार के कार्यक्रम को करने की योजना बना रही है। एसआईआई के मुख्य कार्या​धिकारी अदार पूनावाला ने बुधवार को कहा था, ‘शुरू में इस टीके की आपूर्ति सरकारी कार्यक्रम के लिए की जाएगी और फिर अगले साल से कुछ निजी भागीदार भी शामिल हो सकते हैं।’ यह टीका उम्र के आधार पर दो खुराक या तीन खुराक के रूप में दिया जाना है। फिलहाल निजी बाजार में उपलब्ध एचपीवी टीके के दो टीके विदेशी निर्माताओं-मर्क द्वारा निर्मित गार्डासिल और ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन द्वारा निर्मित सर्वारिक्स। इस क्षेत्र में एसआईआई के आने से दामों में खासी कमी आने के आसार हैं। अभी एचपीवी के टीके 2,000 से 3,500 रुपये प्रति खुराक उपलब्ध हैं।
टीका विकसित करने में एक दशक से भी अधिक समय लगा है। इसके वैज्ञानिक निष्पादन की घोषणा करते हुए केंद्र ने कहा कि क्वाड्रिवैलेंट एचपीवी टीके क्लीनिकल ​​परीक्षणों के लिए देश भर में तकरीबन 2,000 वॉलंटियर ने हिस्सा लिया था। एसआईआई ने केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से क्वाड्रिवैलेंट टीका विकसित किया है। यह परियोजना सितंबर 2011 में शुरू हुई थी और आखिरकार इस साल जुलाई में टीके को दवा नियामक से मंजूरी मिली। यह टीका वायरस-लाइक-पार्टिकल (वीएलपी) की प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने कहा, ‘इस तरह के अनुसंधान में निजी-सार्वजनिक क्षेत्र के बीच साझेदारी काफी अहम होती जा रही है।’ उन्होंने कहा कि इस सह-सृजन से दुनिया में सभी बदलाव आने वाले हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि वै​श्विक महामारी कोविड-19 ने निवारक स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में जागरूकता का स्तर बढ़ा दिया है और गर्भाशय ​ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर रोकने वाला यह टीका उसी दिशा में एक कदम है।
सेरावैक ने जबरदस्त ऐंटीबॉडी प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया है, जो एचपीवी के सभी ल​क्षित प्रकारों, सभी खुराक और आयु समूहों के आधार पर लगभग 1,000 गुना अधिक है।
एचपीवी के प्रकार – 16, 18, 31, 33, 45, 52, 58 को अ​धिक जोखिम वाले प्रकार माना जाता है, क्योंकि इनसे कैंसर हो सकता है। प्रकार 6 और 11 को कम जोखिम वाला प्रकार माना जाता है, क्योंकि इनका सीधे तौर पर कैंसर से संबंध नहीं होता है।
एसआईआई का क्वाड्रिवैलेंट एचपीवी टीका प्रकार – 6,11,16 और 18 के खिलाफ काम करता है। इसका मतलब यह है कि यह टीका एचपीवी के चार अलग-अलग स्वरूपों से सुरक्षा प्रदान करता है और विकासशील देशों में प्रचलित तकरीबन 90 प्रतिशत एचपीवी के खिलाफ सुरक्षा दे सकता है। भारत में महिलाओं में सबसे अ​धिक होने वाले कैंसर में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर दूसरे स्थान पर आता है। सामान्य आबादी में से लगभग पांच प्रतिशत महिलाओं में किसी निर्दिष्ट समय में गर्भाशय ग्रीवा एचपीवी-16/18 संक्रमण होने का अनुमान है तथा 83.2 प्रतिशत होने वाले गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए एचपीवी 16 या 18 जिम्मेदार होते हैं।
एचपीवी संक्रमण अब गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की पुख्ता वजह रहता है तथा दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 70 प्रतिशत मामलों के लिए एचपीवी के प्रकार 16 और 18  सबसे अधिक जिम्मेदार रहते हैं।
भारत में 15 वर्ष और इससे अधिक आयु वाली महिलाओं की 48.35 करोड़ आबादी ऐसी है, जिन्हें गर्भाशय ग्रीवा कैंसर होने का खतरा है। मौजूदा अनुमानों से इस बात का संकेत मिलता है कि हर साल 1,23,907 महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का पता चलता है और 77,348 महिलाओं की बीमारी से मृत्यु हो जाती है। 

First Published : September 1, 2022 | 10:53 PM IST