पिछले दो साल से कोरोना की मार झेल रहे कारोबारियों के लिए इस साल होली रंगत लेकर आई है। कोरोना की तीसरी लहर लगभग खत्म होने से होली पर बिकने वाले सामानों की बिक्री ने खूब जोर पकड़ा। रंग-गुलाल, पिचकारी, कपड़े से लेकर खाने-पीने के सामानों की इस होली मांग काफी है। रंग-गुलाल-पिचकारी की मांग तो इतनी है कि बाजार में इनकी किल्लत होने लगी है और इस साल बीते दो सालों का बचा स्टॉक पूरा निकलने की संभावना है। लागत बढऩे से लगभग सभी होली सामान महंगे हुए। फिर भी पिछले साल की तुलना में कारोबार 30-50 फीसदी बढऩे की उम्मीद है। क्योंकि पिछले साल कोरोना मामले बढऩे से काफी कम कारोबार हुआ था। कारोबारियों के मुताबिक कारोबार काफी सुधरने के बावजूद कोरोना से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाएगा।
होली पर सबसे ज्यादा बिक्री रंग-गुलाल-पिचकारी की होती है। दिल्ली स्थित सदर बाजार में इन सामानों के थोक कारोबारी मयूर गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली में कोरोना लगभग खत्म होने से दो साल बाद रंग-गुलाल-पिचकारी की इतनी मांग है कि बाजार में इनकी कमी होने लगी है। खरीदार सैंपल तक देेने को कह रहे हैं। बीते दो साल से बच रहा स्टॉक इस साल निकल गया। पिछले साल से बिक्री 50 फीसदी ज्यादा होने की उम्मीद है। दिल्ली में पिचकारी निर्माता कंपनी हाई-वे कॉरपोरेशन के निदेशक दीपक वत्स कहते हैं कि इस बार मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं कर पाए। क्योंकि पिचकारी बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। पिचकारी बनाने का काम नवंबर से शुरू होता है, उस समय कोरोना मामले बढऩे शुरू होने से आगे माल न बिकने के खटके में माल बनाने पर कम जोर दिया। कोरोना कमजोर पडऩे पर जनवरी से माल बनाना शुरू हुआ। लिहाजा कम समय मिलने से मांग के अनुरूप आर्डर की पूर्ति नहीं कर पाए। पिछले साल के मुकाबले इस साल 30 से 40 फीसदी ज्यादा आर्डर मिले। प्लास्टिक के दाम बढऩे से पिचकारी की कीमत भी 10 से 15 फीसदी बढ़ी है। गुप्ता ने कहा इस साल रंग-गुलाल-पिचकारी सभी के दाम 10 फीसदी ज्यादा हैं। हालांकि इसका बिक्री पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। कारोबारी अनुमान के मुताबिक दिल्ली में इस साल 100 से 150 करोड़ रुपये मूल्य के रंग-गुलाल, पिचकारी, कलर स्प्रे, बैलून आदि होली सामान बिकने का अनुमान है। जो पिछले साल से 50 फीसदी अधिक है।
होली की मांग से इस साल मेवा-मेवा, मिठाई, कपड़े की बिक्री भी पिछले साल की तुलना में सुधरी है। बंगाली स्वीट्स के साझेदार श्रीत अग्रवाल कहते हैं कि होली पर गुजिया व नमकीन उत्पादों की बिक्री ज्यादा होती है। पिछले साल थोक आर्डर बहुत कम मिले थे। लेकिन इस साल खूब मिल रहे हैं। लागत बढऩे से गुजिया के दाम 40 से 50 रुपये किलो बढ़े हैं। फिर भी इस साल बिक्री 50 फीसदी तक बढ़ सकती है। मेवा कारोबारी नवीन मंगला ने बताया कि इस साल मिठाई निर्माताओं और आम ग्राहकों की मांग बढऩे से मेवा कारोबार पिछले साल से काफी सुधरा है। हालांकि कोरोना के पूर्व स्तर से अभी भी बिक्री कम ही है। मावे व खाद्य तेलों की मांग भी दाम ज्यादा होने के बावजूद पिछली होली से अधिक है। होली पर कुर्ता-पजामा भी खूब बिक रहे हैं।
चांदनी चौक में मुरारीलाल मानव कुमार कुर्ते वाले नाम के कुर्ता-पजामा कारोबारी अजय मित्तल ने बताया कि कोरोना खत्म होने से होली को लेकर काफी उत्साह है। पिछले साल बहुत कम कुर्ता बिके थे। इस साल होली पर 6-7 हजार कुर्ता बिकने की उम्मीद है। होली को लेकर कॉटन के ऐसे कुर्ते हमारे पास हैं, जिन्हें पहनकर होली खेलने पर शरीर पर दाने आदि नहीं होते हैं। कॉटन के कुर्ते की कीमत 450 रुपये और चिकनकारी कुर्ते 300 से 500 रुपये में है।