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BFSI Summit 2022: प्राइवेट सेक्टर के लिए बेंचमार्क बन सकते हैं Sovereign Green Bond- RBI डिप्टी गवर्नर

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मनोजित साहा, भास्कर दत्ता
Last Updated- December 22, 2022 | 2:28 PM IST

BFSI Summit 2022: बिजनेस स्टैंडर्ड की BFSI इनसाइट समिट में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने गुरुवार को कहा कि केंद्र के सॉवरीन ग्रीन बॉन्ड प्राइवेट क्षेत्र द्वारा फंड जुटाने की प्रक्रिया लिए एक बेंचमार्क तय कर सकते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए अपने बाजार उधार के हिस्से के रूप में ग्रीन बांड जारी करेगी।

राव ने कहा, “ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से सरकार द्वारा जुटाई गई राशि को को सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में लगाया जाएगा जो अर्थव्यवस्था के कार्बन-इंटेंसिव (सेक्शन) को कम करने में मदद करेगी। यह किसी भी तरह से छोटा कदम नहीं है।’

राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस क्षेत्र में ठोस प्रयासों की जरूरत को समझता है। इसी के चलते भारत में जलवायु जोखिम और स्थायी वित्त के क्षेत्र में नियामक पहल का नेतृत्व करने के लिए मई 2021 में अपने विनियमन विभाग के अंदर ही एक स्थायी वित्त समूह की स्थापना की है।

सीतारमण ने पिछले महीने पेरिस समझौते के तहत अपनाए गए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (NDCs) लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करने और हरित परियोजनाओं में वैश्विक और घरेलू निवेश को आकर्षित करने के लिए सॉवरीन ग्रीन बॉन्ड ढांचे को मंजूरी दी।

हरित वित्त को बढ़ाने की चुनौतियों में से एक तीसरे पक्ष के सत्यापन और हरित क्रेडेंशियल्स के मूल्यांकन के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता है। उन्होंने कहा, ‘इससे ग्रीन-वाशिंग संबंधी चिंताओं का भी समाधान होगा और संस्थाओं के लिए पूंजी पाने में आसानी होगी ।’

इस मामले में आगे राव ने कहा, “डेटा को लेकर सामने आ रही चुनौतियों के बारे में जल्दी कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए टॉप 1000 लिस्टेड संस्थाओं के लिए सेबी द्वारा बनाया गया डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड (disclosure standards) एक स्वागत योग्य कदम है।

उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह वह क्षेत्र है जो व्यवसाय को फंड उपलब्ध कराता है। “भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे चरण में है जहां हमें तेजी से बढ़ने की जरूरत है, लेकिन हमारे सामने चुनौती है कि हमें क्रेडिट विस्तार, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की आवश्यकता को संतुलित करते हुए वाणिज्यिक ऋण और निवेश निर्णयों में जलवायु जोखिम और संबंधित एकाग्रता को शामिल करने के तरीकों के बारे में सोचना जरूरी हो गया है।

लेकिन हमारे सामने चुनौती यह है कि हम जलवायु जोखिम और वाणिज्यिक उधार और निवेश निर्णयों में संबंधित एकाग्रता को शामिल करने के तरीकों के बारे में सोचें, साथ ही साथ ऋण विस्तार, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की आवश्यकता को संतुलित करें।”

First Published : December 22, 2022 | 1:03 PM IST