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BFSI इनसाइट समिट 2024 का आगाज आज, आर्थिक भविष्य पर मंथन करेंगे दिग्गज

उद्घाटन के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा में शिरकत करेंगे। दास को लगातार दूसरे साल शीर्ष केंद्रीय बैंकर का पुरस्कार मिला है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 06, 2024 | 6:12 AM IST

BS BFSI Insight Summit: देश का प्रतिष्ठित और प्रमुख बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) सम्मेलन ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2024’ बुधवार से शुरू हो रहा है।

आर्थिक राजधानी मुंबई में हो रहे इस सम्मेलन में बैंकिंग तथा बीमा उद्योग के साथ ही शेयर बाजार के शीर्ष नाम जुटेंगे और वृद्धि को बेपटरी करने की आशंका बढ़ा रहे भू-राजनीतिक तनावों के बीच देश की आर्थिक संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

कार्यक्रम में इस बात पर भी चर्चा होगी कि फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति में ढिलाई दिए जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ऐसा ही करने का कितना दबाव है, गिरवी के बगैर दिए जा रहे खुदरा ऋण में बढ़ता जोखिम देसी बैंकों के लिए चिंता का कितना विषय है और देश में बीमा की कमजोर पैठ किस तरह बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) को कुछ नया सोचने पर मजबूर कर रही है।

तीन दिन चलने वाले इस सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय स्टेट बैंक के नवनियुक्त चेयरमैन सीएस शेट्टी करेंगे। शेट्टी इसी साल अगस्त में दिनेश खारा के सेवानिवृत्त होने के बाद स्टेट बैंक के चेयरमैन बने हैं। प्रोबेशनरी अधिकारी के तौर पर 1988 में नौकरी शुरू करने के बाद उन्होंने स्टेट बैंक में तीन दशक तक कई जिम्मेदारी संभाली हैं। चेयरमैन नियुक्त होने से पहले शेट्टी प्रबंध निदेशक के तौर पर स्टेट बैंक के अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग, ग्लोबल मार्केट्स और टेक्नोलॉजी पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

उद्घाटन के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा में शिरकत करेंगे। दास को लगातार दूसरे साल शीर्ष केंद्रीय बैंकर का पुरस्कार मिला है।

आरबीआई गर्वनर के रूप में शक्तिकांत दास का तीन साल का दूसरा कार्यकाल समाप्त होने में बमुश्किल एक महीना बचा है। अभी यह नहीं पता कि सरकार उन्हें लगातार तीसरा कार्यकाल देगी या नहीं। देश के केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर दास को कई अनूठी चुनौतियों से रूबरू होना पड़ा है। हाल में शुरू हुए भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद देश के भीतर गतिविधियों के कारण भारत की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है। मगर उच्च आवृत्ति वाले कुछ संकेतक बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है।

फिर भी रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 7.4 फीसदी के साथ पूरे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.2 फीसदी वृद्धि का अनुमान बरकरार रखा है।

मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रुख तटस्थ कर दिया है। बाजार उम्मीद कर रहा था कि केंद्रीय बैंक दिसंबर में होने वाली मौद्रिक समिति की बैठक में दर में कटौती कर सकता है किंतु दास ने हाल ही में कहा कि इन हालात में दर में किसी तरह की कटौती ‘बेवक्त की’ और ‘जोखिम’ भरी हो सकती है। इससे अटकलें लग रही हैं कि दर में कटौती फरवरी तक के लिए टल सकती है।

बाजार के प्रतिभागियों की नजर दास की टिप्पणी पर लगी होगी ताकि पता लगे कि ब्याज दरों में कटौती के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक का झुकाव किस ओर है। बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) बैंकों के बिना रेहन वाले ऋण पर दास की टिप्पणी पर भी गौर करेंगे। इनमें क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनैंस जैसे ऋण शामिल हैं। फिनटेक भी रिजर्व बैंक गवर्नर की बातचीत उत्सुकता से सुनेंगे क्योंकि यह क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है और इसमें नियामकीय स्पष्टता बेहद जरूरी है।

दास दिसंबर 2018 से ही भारतीय रिजर्व बैंक की कमान संभाल रहे हैं और कई मुश्किलों में उन्होंने भारत की वित्तीय प्रणाली को सहारा दिया है। इनमें आईएलऐंडएफएस का पतन शामिल है, जिसके कारण एनबीएफसी क्षेत्र में संकट शुरू हो गया था। इसके अलावा कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव आदि शामिल हैं।

दास ने रिजर्व बैंक में अपने छह साल के कार्यकाल को चुनौती भरा बताया मगर यह भी कहा कि संस्थान व्यापक आर्थिक मजबूती एवं वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि पिछले छह साल में भारतीय रिजर्व बैंक की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बनाए रखना रही है।

इस बीच 2022 से आईआरडीएआई की कमान संभाल रहे देवाशिष पांडा ने बीमा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बदलाव लागू किए, जिनके सकारात्मक नतीजे धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। उनके कार्यभार संभालने के बाद दो वर्षों के भीतर छह नई कंपनियों ने उद्योग में दस्तक दी है। इनमें जीवन बीमा के क्षेत्र में एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद और सामान्य तथा स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में पांच वर्ष के बाद किसी कंपनी की आमद शामिल है।

पांडा ने तमाम प्रतिरोध झेलते हुए भी जीवन बीमा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण सुधार लागू किया है। उन्होंने उन ग्राहकों के लिए पहले साल का सरेंडर शुल्क बढ़ा दिया है, जो अपनी इच्छा से पॉलिसी बंद कर रहे हैं। भारत में बीमा की पैठ काफी कम है। इसे देखते हुए पांडा ने 2047 तक सभी के लिए बीमा का आह्वान किया है। इसका उद्देश्य देश में बीमा की कम पैठ से निपटना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उद्योग पूरी लगन से काम कर रहा है।

पांडा ने बीमा की त्रिमूर्ति का भी विचार दिया है, जिसमें मार्केटप्लेस के तौर पर बीमा सुगम, सुदूर क्षेत्रों में महिलाओं पर केंद्रित एजेंसी बीमा वाहक और व्यक्तिगत बीमा, जीवन बीमा एवं संपत्ति बीमा की संयुक्त पॉलिसी बीमा विस्तार शामिल हैं।

देश में शेयर बाजार की पहुंच तेजी से बढ़ रही है और वेतनभोगी भारतीयों के लिए एसआईपी निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है। ऐसे में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी ने मांग पूरी करने के लिए गुणवत्ता भरे पत्रों की कमी देखते हुए डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग या एसएमई आईपीओ में बेवजह की उछाल पर नियंत्रण के इरादे से उपाय लागू किए हैं। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण गोपालकृष्णन इक्विटी बाजार की व्यवस्था में आ रही समस्याओं पर बात कर सकते हैं।

इस सम्मेलन की शुरुआत रिजर्व बैंक गवर्नर दास के साथ बातचीत से होगी और समापन केवी कामत के साथ बातचीत से होगा, जो जियो फाइनैंशियल सर्विसेज के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट के चेयरपर्सन समेत कई भूमिकाएं निभाते हैं। तीन दिन का यह सम्मेलन बैंकरों, बीमा कंपनियों, परिसंपत्ति प्रबंधकों वअर्थशास्त्रियों को भारत के भविष्य पर चर्चा करने का शानदार मंच प्रदान करेगा।

First Published : November 6, 2024 | 6:12 AM IST