उत्तर प्रदेश में जल संसाधनों के संरक्षण और सिंचाई के वास्ते पानी का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार जल संसाधन प्रबंधन और नियामक आयोग का गठन करेगी।
राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश जल संसाधन और नियामक आयोग विधेयक को पारित किया गया है। राज्य के सिंचाई मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सिंचाई विभाग पोर्टल के उद्धाटन के बाद बताया, ‘आयोग के गठन की प्रक्रिया जारी है और इसे जल्द ही मूर्त रूप दे दिया जाएगा।’
हालांकि, राज्य में तालाब, नहर, जलीय भूमि, नहर आदि के रूप में पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन उपलब्ध है लेकिन दिन-प्रतिदिन घटते जल स्तर और अनियमित मानसून को ध्यान में रखते हुए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल प्रबंधन की आवश्यकता को बनाए रखने के लिए आयोग सूबे की विभिन्न जल प्रणालियों का आधुनिकीकरण करेगी।
विभाग राज्य के जल उपयोगकर्ता एसोसिएशनों (डब्ल्यूयूए) को भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित मानचित्र भी जारी करेगी ताकि वे मानचित्र पर विभिन्न क्षेत्रों और कैनालों की दूरी की पहचान कर सकें।
बहरहाल, विभाग ने विश्व बैंक से आग्रह किया है कि वे विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित उत्तर प्रदेश वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट (यूपीडब्लूएसआरपी) की अवधि को अगले एक साल के लिए बढ़ा दें।