उत्तर प्रदेश के बागवानी मंत्री नारायण सिंह सुमन के इस बयान से कि आगरा के आलू निर्यात के लिए अयोग्य हैं, यहां के स्थानीय किसान खासा नाराज हैं। किसानों ने नौकरशाहों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लापरवाही की वजह से फसल बर्बाद हो रही हैं।
आलू उत्पादक किसान समिति की अगुर्वाई में आलू किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी अधिकारियों से कहा कि सरकार को चाहिए कि वे निर्यात किए जाने वाले आलू के लिए एक प्रारंभिक खिड़की मुहैया कराएं ताकि निर्यात में अनावश्यक देरी न हो और न ही आलू खराब हो।
इसके अलावा किसानों ने कोल्ड स्टोरेज को फिर से टैरिफ नियंत्रण कानून के तहत लाने की मांग की है। समिति के सचिव पुष्पेंद्र जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उत्तर प्रदेश के बागवानी मंत्री नारायण सिंह सुमन ने हाल ही कहा था कि गुणवत्ता की कमी की वजह से निर्यात किए जाने वाले आगरा आलू की मांग घट रही है।
जैन ने कहा कि निर्यात में आई कमी को लेकर मंत्री गलत मूल्यांकन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में विभिन्न देशों में निर्यात किए जाने वाले आगरा के आलू ज्यादा समय तक कोल्ड स्टोरेज में रखने की वजह से खराब हो रहे हैं।
निर्यात किए जाने के लिए जहाज में लादने से पहले आलू को आगरा में रखा जाता है और उसके बाद फिर उसे तूतीकोरिन में रखा जाता है। जैन ने बताया कि ज्यादा देर तक कोल्ड स्टोरेज में रखने की वजह से आलू में ग्लूकोज और मालटोज की
मात्रा बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप आलू मीठा लगने लगता है।
जैन ने बताया कि आलू के निर्यात के लिए सबसे आदर्श समय है कि आलू की खेती तैयार होने के बाद इसे तुरंत निर्यात कर दिया जाए। तब इसे ज्यादा समय तक कोल्ड स्टोरेज में रखने की आवश्यकता भी नहीं होगी।