उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के चलते दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से बंद शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया गया है। लगातार हो रहे घाटे से परेशान शराब कारोबारियों ने दुकानें खोलने की मांग की थी। शराब की दुकानों की बंदी के कारण प्रदेश के आबकारी राजस्व में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल में जब लॉकडाउन की जगह केवल साप्ताहिक बंदी लागू थी और दुकानें खुलने का समय घटाया था तो आबकारी राजस्व में 700 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई थी। प्रदेश सरकार का अप्रैल में आबकारी से 3,940 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य था जबकि इसे केवल 3,240 करोड़ रुपये ही मिले थे।
मंगलवार को योगी सरकार ने विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को अधिकृत करते हुए उन्हें इस संबंध में फैसला लेने को कहा है। प्रदेश सरकार के इस आदेश के बाद कल से कई जिलों में शराब की दुकानें खुल जाएंगी। हालांकि वाराणसी, कानपुर और लखनऊ जैसे कई शहरों में आज से ही दुकानें खुल गई हैं। वाराणसी सहित कुछ जिलों में जिलाधिकारियों ने एक बजे दिन तक शराब की दुकानें और बाकी जरूरी सामानों की दुकानें खोलनी की इजाजत दी है।
आबकारी अधिकारियों के मुताबिक आंशिक कोरोना कफ्र्यू का फैसला करते वक्त सरकार की तरफ से शराब की दुकानें को बंद करने का कोई आदेश नहीं था। हालांकि पिछले कई दिनों से दुकानें बंद हैं। इस वजह से दुकानदारों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। दुकानों की बंदी को लेकर शराब विक्रेता एसोसिएशन ने आबकारी विभाग से इन्हें खोलने अनुमति मांगी थी। एसोसिएशन का कहना है कि शराब दुकानों की बंदी से रोजाना उत्तर प्रदेश को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है।