इक्विटी सेविंग्स स्कीम में निवेश बढ़कर 24,100 करोड़ रुपये पर पहुंचा

डेट फंड के कराधान में बदलाव का असर: इक्विटी बचत योजनाओं को मिला दम

Published by
अभिषेक कुमार   
Last Updated- December 19, 2023 | 9:55 PM IST

मार्च में डेट फंड के कराधान में बदलाव के बाद फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टर्स के लिए कम मशहूर हाइब्रिड फंड विभिन्न विकल्पों में से एक के तौर पर उभरा है। परिसंपत्ति के लिहाज से हाइब्रिड फंड की सबसे छोटी श्रेणी इक्विटी सेविंग्स स्कीम यानी इक्विटी बचत योजना में वित्त वर्ष 24 में अब तक करीब 6,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है जबकि वित्तवर्ष 2023 में इससे 1,100 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी।

निवेश और मजबूत प्रदर्शन के कारण अप्रैल-नवंबर की अवधि में इसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 24,100 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

इक्विटी सेविंग्स फंड का लक्ष्य रिटर्न, जोखिम और कर बचत के बीच सही संतुलन बिठाने का होता है। यह फंड विभिन्न तरह की इक्विटी, आर्बिट्रेज और डेट में निवेश करता है, जिससे उन्हें ज्यादातर फिक्स्ड इनकम योजनाओं के मुकाबले ज्यादा रिटर्न की पेशकश करने की इजाजत मिलती है और उतारचढ़ाव भी कम रखने में मदद मिलती है। नियमन के मुताबिक, इन योजनाओं को इक्विटी व आर्बिट्रेज में न्यूनतम 65 फीसदी आवंटन बनाए रखना होता है और डेट में 10 फीसदी।

पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के कार्यकारी निदेशक और चीफ बिजनेस ऑफिसर अभिषेक तिवारी ने कहा, ‘इक्विटी बचत योजनाएं निवेशकों के बीच अपनी पैठ बना रही है क्योकि यह इक्विटी में बढ़त से कमाई के मौके देता है और उसके साथ फिक्स्ड इनकम आवंटन से स्थिरता भी मिलती है।’

चूंकि इक्विटी व आर्बिट्रेज की हिस्सेदारी पोर्टफोलियो में 65 फीसदी होती है, ऐसे में ये योजनाएं इक्विटी कराधान की पात्र होती है। इक्विटी फंडों की एक लाख रुपये तक की आय करमुक्त मानी जाती है अगर निवेश एक साल से ज्यादा अवधि तक बनाए रखा गया हो।

एक लाख रुपये से ऊपर लाभ पर 10 फीसदी कर लगता है। अगर निवेश की अवधि एक साल से कम है तो कराधान की दर 15 फीसदी है। वहीं डेट फंडों के मामले में लाभ पर कर निवेशकों के इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर वसूला जाता है।

वित्त वर्ष 2023 तक डेट फंडों पर 20 फीसदी का रियायती कर लगता था और लंबी अवधि के निवेश (3 साल से ज्यादा) पर इंडेक्सेशन का भी फायदा मिलता था।

फंड्सइंडिया के उपाध्यक्ष व शोध प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि डेट फंड के कराधान में बदलाव के बाद उच्च कर की दर के दायरे वाले निवेशक इस फंड के विकल्प की तलाश कर रहे थे, जिसे इक्विटी कराधान का लाभ मिलता हो।

इसके परिणामस्वरूप आर्बिट्रेज व इक्विटी बचत जैसी श्रेणियों की लोकप्रियता बढ़ी। कुमार ने कहा, शेयर बाजार में काफी तेजी के कारण इक्विटी सेविंग्स स्कीम के मजबूत प्रदर्शन ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई होगी।

पिछले एक साल में इक्विटी सेविंग्स स्कीम ने 18 फीसदी से 9 फीसदी के बीच रिटर्न दिया है। फंड मैनेजरों के मुताबिक, रिटर्न में इस तरह के अंतर की वजह शुद्ध इक्विटी आवंटन में भिन्नता है। फंड मैनेजर शुद्ध रूप से इक्विटी में शून्य से लेकर 65 फीसदी तक के निवेश कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर योजनाएं 20 से 40 फीसदी के दायरे में निवेश बनाए रखते हैं।

एसबीआई सेलिंग्स स्कीम की सह-फंड प्रबंधक मानसी सजेजा के मुताबिक, फंड ने पिछले एक साल में उच्च रिटर्न सृजित किया है, जिसकी वजह इक्विटी में 38 से 40 फीसदी आवंटन है।

First Published : December 19, 2023 | 9:55 PM IST