तेल, बिजली, जमीन और मजदूरी की बढ़ी हुई दरों के कारण शादी करना आम आदमी के लिए भारी पड़ता जा रहा है। अगले महीने विवाह के सीजन के लिए अच्छे और सस्ते मैरिज हॉलों के लिए बड़े स्तर पर खोजबीन शुरु हो गई है।
इस समय रख-रखाव में आने वाला खर्च बढ़ जाने के कारण मैरिज हॉल का किराया लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले साल की अपेक्षा मैरिज हॉल के किराये में इस साल तीन गुनी तक बढ़ोतरी हो चुकी है। लखनऊ में कम से कम 100 मैरिज हॉल है।
हरीशगुन लॉन्स के प्रंबधक पीयूष कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि रख-रखाव का खर्च लगभग तीन गुना तक बढ़ गया है। तेल, बिजली, मजदूरी सभी की दरों में बढ़ोतरी हो चुकी है।
इस कारण हमें भी मैरिज हॉलों के किराये में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। हरीशगुन में एक दिन की बुकिंग का किराया सजावट के खर्च सहित लगभग 60,000 रुपये है। लखनऊ में कई और मैरिज हॉल तो ऐसे भी है। जहां 60 हजार रुपये या इससे ज्यादा तो केवल किराया ही है।
कल्याण मंडप के वेद प्रकाश का कहना है कि ‘शादी के दिनों के बाद हमें बुकिंग मिलनी बंद हो जाती है। ऐसे में हम मैरिज हॉलों की मरम्मत का कार्य शुरू कर देते हैं।
कल्याण मंडप का किराया ही हमने पिछले छह महीनों के भीतर 11,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 हजार रुपये कर दिया है। इसके अलावा सजावट और खान-पान पर होने वाले खर्च को भी बढ़ाया है।’
एक दूसरे मैरिज हॉल मालिक का कहना है कि आज शादियां पारिवारिक आयोजन से बढ़कर समाज में प्रतिष्ठा का आयोजन बन गई है। इसलिए विवाह के आयोजनों में खुल कर खर्च किया जाने लगा है।
शहर के बीचोंबीच स्थित मैरिज हॉलों की बुकिंग तो और भी मंहगी है। कुसुम नाम की एक गृहणी का कहना है कि इस महीने धड़ाधड़ शदियों के होने से मैरिज हॉलों के किरायों में भी मुंहबोली बढ़ोतरी हो रही है।
लेकिन इन सबके बावजूद लोग शादी के लिए बढ़े हुए किराये को देने के लिए राजी है। लोगों का मानना है कि शादी तो जिदंगी में एक बार ही होनी है। इसलिए इसके आयोजन में किसी भी तरह की कंजूसी दिखाना अपनी खुशी को मारने जैसा होगा।