लोक सभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 7 प्रमुख राज्यों में भारी नुकसान हुआ है। कुछ राज्यों में हुए मामूली लाभ से इसकी भरपाई नहीं हो पाई और पार्टी को 2019 की तुलना में करीब 60 सीटें गंवानी पड़ी हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को 8 फीसदी कम वोट मिले हैं, जिसके कारण उसे सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में 29 सीटों का नुकसान हुआ है।
महाराष्ट्र में उसे 12 सीटें गंवानी पड़ी हैं, जहां उसका वोट 1 फीसदी कम हुआ है। राजस्थान में भाजपा को 9.2 फीसदी कम वोट मिले हैं और 10 सीट का नुकसान हुआ। कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी 19 सीटों का नुकसान हुआ, जहां उसका वोट 1.9 से 5.4 फीसदी तक कम हुआ है।
लोक सभा सीटों के हिसाब से हमने 12 बड़े राज्यों का विश्लेषण किया। इनमें से10 राज्यों में भाजपा और कांग्रेस की मतों में हिस्सेदारी अधिक है। तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में सहयोगी दलों की भूमिका ज्यादा है, उन्हें विश्लेषण में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि वहां इन दो प्रमुख दलों की उपस्थिति मामूली है। हमने मतगणना के दिन 5 बजे तक के आंकड़ों पर विचार किया है।
इन 12 राज्यों में से 7 राज्यों में भाजपा को 71 सीटें गंवानी पड़ी हैं। इसकी वजह से ओडिशा, मध्य प्रदेश और केरल में हुआ फायदा बेअसर हो गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कर्नाटक में 13.5 फीसदी अधिक वोट मिले हैं। यह सभी प्रमुख राज्यों में पार्टी को सबसे बड़ा लाभ है। इसकी वजह से राज्य में कांग्रेस को अतिरिक्त 8 सीटें मिली हैं।
सीट के हिसाब से कांग्रेस को सबसे ज्यादा लाभ महाराष्ट्र में हुआ है, जहां 2 फीसदी अधिक वोट मिलने से पार्टी को 10 अतिरिक्त सीटें मिल गई हैं। कांग्रेस को 6 राज्यों में 35 सीटों का लाभ हुआ है। हालांकि कांग्रेस को केरल में 3 सीट, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में एक-एक सीट का नुकसान हुआ है। पार्टी को उत्तर प्रदेश में 6 सीटों का फायदा हुआ है, जहां सहयोगी दल समाजवादी पार्टी को 38 सीटें मिली हैं।
सपा को 2019 के चुनाव में मिली 5 सीट की तुलना में 33 अतिरिक्त सीटें मिली हैं। कांग्रेस ने मतों को एकजुट करने के लिए सहयोगी दलों के लिए तमाम सीटें छोड़ीं। 2024 में वह महज 328 सीट पर चुनाव लड़ी, जो अब तक के चुनाव में लड़ी गईं सबसे कम सीटें हैं। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 529 प्रत्याशी 1996 में चुनाव में उतरे थे।
अमूमन पार्टी हर लोक सभा चुनाव में करीब 400 सीट पर प्रत्याशी उतारती रही है। 2014 में पार्टी ने 464 और 2019 में 421 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। 2024 में प्रत्याशियों की कुल संख्या में कांग्रेस के प्रत्याशी 5 फीसदी से भी कम थे। हाल के चुनावों में जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या में कमी के बीच यह स्थिति हुई है।
1980 के चुनाव में कांग्रेस के 80.1 फीसदी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। यह 2019 में घटकर 12.5 फीसदी रह गई थी। इसकी वजह से इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगियों को 101 सीटों पर लड़ने का अवसर मिला।